Thursday, May 02, 2024
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कलकत्ता हाईकोर्ट का बयान- नाबालिग लड़कियों का इनरवियर जबरदस्ती उतारना दुष्कर्म के बराबर

7 मई 2007 को रॉय पर अपने इलाके में एक नाबालिग लड़की को आइसक्रीम देने का वादा करके एक सुनसान जगह पर ले जाने का आरोप लगाया गया था। उसने पहले तो उससे इनरवियर उतारने को कहा, लेकिन जब लड़की ने मना किया तो उसने जबरदस्ती उसके इनरवियर उतार दिए।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai
Published on: February 07, 2023 20:15 IST
Calcutta High Court statement Forcefully removing innerwear of minor girls is equal to rape- India TV Hindi
Image Source : IANS कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक फैसले की सुनवाई में कहा है कि किसी भी नाबालिग लड़की के अंत:वस्त्रों (इनरवियर) को जबरन हटाना दुष्कर्म के बराबर है। भले ही आरोपी या दोषी द्वारा दुष्कर्म किया गया हो या न किया गया हो। न्यायमूर्ति अनन्या बंद्योपाध्याय की एकल पीठ द्वारा फैसला सुनाते वक्त यह कहा गया, जिसमें रॉबी रॉय को 2008 में पश्चिम दिनाजपुर जिले की एक निचली अदालत ने दोषी करार दिया था। 7 मई 2007 को रॉय पर अपने इलाके में एक नाबालिग लड़की को आइसक्रीम देने का वादा करके एक सुनसान जगह पर ले जाने का आरोप लगाया गया था। उसने पहले तो उससे इनरवियर उतारने को कहा, लेकिन जब लड़की ने मना किया तो उसने जबरदस्ती उसके इनरवियर उतार दिए। 

इसके बाद जब लड़की ने चिल्लाना शुरू किया तो आसपास रहने वाले लोग मौके पर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने रॉबी रॉय की पिटाई की और स्थानीय पुलिस को सूचित किया। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने रॉबी रॉय को हिरासत में ले लिया। बता दें कि नवंबर 2008 में निचली अदालत ने रॉबी रॉय को दोषी पाया, जिसके बाद उसे साढ़े पास साल कैद की सजा सुनाई गई और 3 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया। जेल से छूटने के बाद रॉबी ने जिला अदालत के आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया था, जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। उसने दावा किया कि उसका इरादा पीड़िता के प्रति पिता जैसा स्नेह प्रकट करना था।

न्यायमूर्ति अनन्या ने हालांकि निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि लड़की को आइसक्रीम खिलाने का इरादा गलत था। उन्होंने कहा, "दोषी ने सिर्फ अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए पीड़िता को आइसक्रीम खिलाने का लालच दिया था। जब पीड़िता ने दोषी के कहे अनुसार अपने इनरवियर को खोलने से इनकार कर दिया, तो उसने जबरदस्ती इनरवियर उतार दिया। इसे स्नेह की अभिव्यक्ति नहीं माना जा सकता। यह दुष्कर्म के प्रयास के बराबर है।" हालांकि मेडिकल जांच से साबित हुआ कि नाबालिग लड़की दुष्कर्म की शिकार नहीं हुई थी। न्यायाधीश ने कहा कि पूरी घटना भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत यौन अपराध के दुष्कर्म के बराबर है।

(इनपुट-आईएएनएस)

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