इस्लामाबाद: पाकिस्तान के कई सांसदों ने सरकार को आगाह किया है कि यदि देश के हितों की रक्षा नहीं की गई तो 46 अरब डॉलर की लागत वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा :सीपीईसी : एक और ईस्ट इंडिया कंपनी में तब्दील हो सकता है। योजना एवं विकास पर सीनेट स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं सीनेटर ताहिर मशादी ने कहा है, एक और ईस्ट इंडिया कंपनी तैयार है, राष्ट्रीय हितों की हिफाजत नहीं की जा रही। हमें पाकिस्तान और चीन के बीच दोस्ती पर गर्व है लेकिन देश का हित पहले हैं।
उन्होंने यह बात तब कही जब सीनेट के कुछ सदस्यों ने यह चिंता जताई कि सरकार लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा नहीं कर रही है। गौरतलब है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश व्यापारिक कपंनी थी जो भारत भेजी गई थी और इसने भारतीय उपमहाद्वीप में औपनिवेशिक शासन का मार्ग प्रशस्त किया। यह मजबूती से अपने पैर जमाते गई और इसने तत्कालीन मुगल शासन को उखाड़ फेंका।
पाक योजना आयोग के सचिव युसुफ नदीम खोकर ने जब समिति को यह बताया कि सीपीईसी में चीनी निवेश की बजाय ज्यादातर स्थानीय संसाधनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है तो सांसद भड़क गए। सांसद ताहिर ने कहा "यह हमारे लिए बेहद नुकसानदायक सौदा है। यह राष्ट्रीय आपदा है। सीपीईसी को लेकर चीन से जो भी कर्ज लिया गया है, वह पाकिस्तान की गरीब जनता से वसूला जाएगा।" खुद शरीफ की पार्टी के सांसद सइदुल हसन ने भी सीपीईसी को लेकर नाराजगी व्यक्त की।
वही एक अन्य सांसद उस्मान ने कहा कि नेप्रा परियोजना के लिए पावर टैरिफ 71 पैसे तय किया गया था जबकि चीनी निवेशक 95 पैसे प्रति यूनिट की मांग कर रहे हैं जिसका सरकार समर्थन भी कर रही है।