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नेपाल छापने जा रहा है 100 रुपये के नए नोट; नक्शे में होंगे लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी

नेपाल की सरकार ने 100 रुपये के नए नोट को छापने के लिए मंजूरी दे दी है जिसमें जो मानचित्र होगा उसमें विवादित स्थल लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल के हिस्से के रूप में दर्शाया जाएगा।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : May 04, 2024 8:40 IST, Updated : May 04, 2024 8:40 IST
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Image Source : FILE 100 नेपाली रुपये।

काठमांडू: नेपाल ने शुक्रवार को 100 रुपये के नए नोट छापने का ऐलान किया जिसमें एक नक्शा होगा जिस पर विवाद होने की पूरी संभावना है। दरअसल, 100 रुपये के इस नए नोट पर बने नेपाल के नक्शे में विवादित स्थल लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा। भारत पहले ही इन क्षेत्रों को कृत्रिम रूप से विस्तारित करार दे चुका है। सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने कैबिनेट फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया, 'प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में 100 रुपये के नोट में नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा।'

नेपाल में बड़ा मुद्दा बन चुके हैं ये क्षेत्र

गौरतलब है कि नेपाल समय-समय पर इन तीनों क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताकर यह मामला उठाता रहा है। पहले भी नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी कह चुकी हैं कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल का अभिन्न अंग हैं और इसे लेकर भारत के साथ जो भी विवाद है, उसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल में चुनावी मुद्दे भी रहे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चुनावों के दौरान वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह भारत से कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्रों को बातचीत के जरिए ‘वापस ले लेंगे।’

भारत पहले ही दे चुका है कड़ी प्रतिक्रिया

वहीं, नेपाल के नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को उनके भूभाग के रूप में दर्शाए जाने पर भारत की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी। ये तीनों ही स्थान भारत-नेपाल सीमा पर पारंपरिक रूप से उत्तराखंड में स्थित हैं। तकरीबन 3 साल पहले नेपाली संसद के निचले सदन द्वारा मंजूर किए गये नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र में इन क्षेत्रों को अपने भूभाग के रूप में दिखाए जाने पर भारत की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया हुई थी। एक भारतीय अधिकारी ने कहा था कि स्थानीय भूमि रिकॉर्ड भी यही बताते हैं कि कालापानी और लिपुलेख की भूमि भारत-नेपाल सीमा पर भारत की ओर स्थित 2 गांवों के निवासियों की है।

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