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चीन में मिला एक और मौत देने वाला वायरस, सीधा दिमाग पर करता है अटैक

कोरोना वायरस के बाद चीन में एक और बेहद खतरनाक वायरस के बारे में पता चला है। इस नए वायरस का नाम वेटलैंड वायरस (WELV) है। यह वायरस मस्तिष्क सहित कई अंगों तक पहुंच सकता है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Sep 09, 2024 14:16 IST, Updated : Sep 09, 2024 14:16 IST
Tick Borne Virus- India TV Hindi
Image Source : FILE AP Tick Borne Virus

New Tick-Borne Virus Discovered in China: चीन में मिला एक नया टिक-बोर्न वायरस इंसानों में भी फैल सकता है। यह वायरस तंत्रिका संबंधी (Neurological) बीमारी का कारण बन सकता है। इस बात का खुलासा वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट में हुआ है। हाल ही में (4 सितंबर, 2024) को द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, वेटलैंड वायरस (WELV) नाम का रोगाणु पहली बार जून 2019 में चीन के जिनझोउ शहर में इलाज करा रहे एक अस्पताल के मरीज में पाया गया था।

ऐसे मिली जानकारी

वायरस के बारे में तब पता चला था जब इनर मंगोलिया में एक पार्क में जाने के लगभग पांच दिन बाद 61 वर्षीय शख्स को बुखार, सिरदर्द और उल्टी की समस्या हुई। पीड़ित शख्स ने डॉक्टरों को बताया कि उसे पार्क में टिक ने काट लिया था। एंटीबायोटिक्स ने बीमार व्यक्ति के लक्षणों को कम नहीं किया जिससे यह पता चला कि संक्रमण बैक्टीरिया के कारण नहीं हुआ था। 

जांच में क्या मिला?

बीमार शख्स के खून में डीएनए और आरएनए के विश्लेषण से एक ऐसा वायरस मिला जो पहले कभी नहीं देखा गया था। जांच में पता चला कि यह वायरसों का एक समूह है जिसमें टिक द्वारा ले जाए जाने वाले कई वायरस शामिल हैं। जांच में क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार के पीछे का वायरस भी पाया गया। यह बुखार दुर्लभ और घातक बीमारी है जो टिक के काटने या संक्रमित लोगों के शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से मनुष्यों में फैल सकती है। वेटलैंड वायरस (WELV) नाम के रोगाणु को पहले जानवरों या मनुष्यों में नहीं देखा गया था। 

शोधकर्ताओं ने बढ़ाया जांच का दायरा

मरीज के खून में वायरस मिलने के बाद, शोधकर्ताओं ने उत्तरी चीन में टिक और जानवरों में इसकी तलाश की। जांच के दायरे में वह वेटलैंड पार्क भी शामिल था जहां शख्स गया था। शोधकर्ताओं ने लगभग 14,600 टिक एकत्र किए और उन्हें स्थान और प्रजातियों के आधार पर अलग किया। इसके बाद जांच में पता चला कि पांच टिक प्रजातियां वायरस के लिए जिम्मेदार हैं। हेमाफिसेलिस कॉन्सिना प्रजाति के टिक का सबसे अधिक बार परीक्षण किया गया जो पॉजिटिव रहा।  

दिखे इस तरह के लक्षण

टीम ने वन रेंजरों के रक्त का भी विश्लेषण किया और पाया कि 640 नमूनों में से 12 में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद थे। इसके अलावा, उन्होंने पूर्वोत्तर चीन के चार अस्पतालों में भी वायरस की जांच की। इसके अलावा सैकड़ों ऐसे रोगियों में भी वायरस की जांच की गई जिन्हें टिक के काटने के एक महीने के भीतर बुखार हुआ था। इस दौरान जो वेटलैंड वायरस से संक्रमित थे उनमें बुखार, चक्कर आना, सिरदर्द, पीठ दर्द के साथ-साथ उल्टी और दस्त जैसे सामान्य लक्षण थे। शोधकर्ताओं ने जानकारी दी कि वेटलैंड वायरस से संक्रमित एक रोगी कोमा में चला गया था। उस रोगी के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के द्रव में श्वेत रक्त कोशिकाओं में इन्फेक्शन था। हालांकि, इलाज के बाद "सभी रोगी ठीक हो गए और 4 से 15 दिनों के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।" 

चूहों पर किया गया प्रयोग

हालांकि, जब शोधकर्ताओं ने लैब चूहों में वायरस को इंजेक्ट करने की कोशिश की, तो उन्होंने पाया कि यह घातक संक्रमण पैदा कर सकता है, जो मस्तिष्क सहित कई अंगों तक पहुंच सकता है। यह खोज इस विचार का समर्थन करती है कि वेटलैंड वायरस (WELV) तंत्रिका तंत्र के गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है। शोधकर्ताओं के पास जो आंकड़े आए उससे निष्कर्ष निकाला गया कि वेटलैंड वायरस इंसानों में घातक है और मनुष्यों में टिक के कारण फैलता है।  

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