Sunday, April 28, 2024
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तिब्बत ने कर दिया चीन पर बड़ा हमला, इस देश को अब तक हल्के में ले रहे थे राष्ट्रपति शी जिनपिंग

तिब्बत ने कहा कि दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों को चीन के खिलाफ एक साथ आना चाहिए। अधिनायकवादी शासन और उनकी विचारधारा तथा उसकी महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ लड़ना महत्वपूर्ण है।’’ पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद का जिक्र करते हुए, त्सेरिंग ने सैनिकों की वापसी के लिए ‘कड़ा रुख’ अपनाने के भारत के कदम की सराहना की।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: December 06, 2023 21:21 IST
तिब्बत के धर्मगुरु दलाईलामा (प्रतीकात्मक)- India TV Hindi
Image Source : AP तिब्बत के धर्मगुरु दलाईलामा (प्रतीकात्मक)
ताइवान से तनाव झेल रहे चीन पर अब तिब्बत ने भी बड़ा हमला किया है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेंपा त्सेरिंग ने कहा है कि तिब्बती लोग चीन के दमन के कारण ‘धीमी मौत मर रहे हैं। उन्होंने लोकतांत्रिक देशों को चीनी हठधर्मिता के खिलाफ खड़े होने की अपील भी की है। त्सेरिंग ने कहा कि दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों को तिब्बतियों, उइगर नेताओं और हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं जैसी ‘आंतरिक ताकतों’ पर गौर करना चाहिए। ताकि बीजिंग पर उसके आक्रामक दृष्टिकोण को बदलने और देश के भीतर ‘सकारात्मक बदलाव’ लाने के लिए दबाव डाला जा सके।
 
उन्होंने कहा कि चीन के रणनीतिक उद्देश्यों और योजनाओं की हद को लेकर दुनिया में ज्यादा समझ नहीं है और बीजिंग की साजिशें क्या हैं, इस बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। पंचेन लामा पर एक जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान निर्वासित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग या राजनीतिक नेता ने चीन पर तिब्बत के अस्तित्व के ऐतिहासिक आधार को नष्ट करने का आरोप लगाया। उन्होंने मंगलवार रात को कहा कि मैं दुनिया को बता रहा हूं कि ‘हम धीमी मौत मर रहे हैं, ड्रैगन (चीन) द्वारा हमारी सांसें निचोड़े जाने से हम त्रस्त हो रहे हैं।’’ चीन विरोधी विद्रोह के 1959 में असफल होने के बाद 14वें दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गए और यहां उन्होंने निर्वासित सरकार की स्थापना की।
 

तिब्बत मांग रहा आजादी

 
चीन सरकार के अधिकारी और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि 2010 के बाद से औपचारिक वार्ता के लिए नहीं मिले हैं। बीजिंग दलाई लामा पर ‘अलगाववादी’ गतिविधियों में शामिल होने और तिब्बत को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाता रहा है और उन्हें एक विभाजनकारी व्यक्ति मानता है। हालांकि, तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने जोर देकर कहा है कि वह स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि ‘मध्य-मार्ग दृष्टिकोण’ के तहत ‘तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता’ की मांग कर रहे हैं। त्सेरिंग ने कहा कि चीनी सरकार आर्थिक और राजनीतिक मोर्चों सहित विभिन्न घरेलू चुनौतियों का सामना कर रही है और उस देश के भीतर ‘सकारात्मक बदलाव’ लाने के लिए ‘आंतरिक और बाहरी ताकतों का मिलन’ होना चाहिए।
 

भारत सहित अन्य लोकतांत्रिक देशों से तिब्बत ने की ये अपील

 
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित तिब्बत की निर्वासित सरकार लगभग 30 देशों में रहने वाले एक लाख से अधिक तिब्बतियों का प्रतिनिधित्व करती है। चीन की आंतरिक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए त्सेरिंग ने दावा किया कि यह एकमात्र देश है जो बाहरी सुरक्षा की तुलना में आंतरिक सुरक्षा पर अधिक वित्तीय संसाधन खर्च करता है क्योंकि कम्युनिस्ट शासन को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम आंतरिक ताकते हैं। सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आंतरिक और बाह्य शक्तियों का मिलन होना चाहिए।
 
इसीलिए मैं सरकारों से कहता हूं, कृपया हमें साम्यवाद के पीड़ितों के नजरिए से न देखें, जिन पर आप केवल दया कर सकते हैं।’’ तिब्बती नेता ने कहा कि भारत भी अपनी चीन संबंधी रणनीति के लिए तिब्बतियों से जानकारी ले सकता है। उन्होंने भारत सहित लोकतंत्रिक देशों के चीन से संबंधित मुद्दों पर अधिक स्पष्टता से बोलने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। त्सेरिंग ने कहा, ‘‘जब सहयोग के लिए संपर्क करते हैं, तो हम केवल लोकतांत्रिक विश्व से ही संपर्क कर सकते हैं। हम अन्य अधिनायकवादी शासनों से संपर्क नहीं कर सकते, क्योंकि वे चीन जैसी ही प्रथा का पालन करते हैं।
​(भाषा) 

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