बाइडेन-शी की मुलाकात के बाद अचानक उठा "तिब्बत का मुद्दा", अमेरिका को याद दिलाया वादा
सैन फ्रांसिस्को में 15 नवंबर को हुए अमेरिका-चीन सम्मेलन के बाद अचानक तिब्बत का मुद्दा भी उछल गया है। अमेरिका से इस मुद्दे पर एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने चीन पर दबाव बनाने की मांग की है। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को इस मुद्दे को समाधान कराने का उनका पुराना वादा भी याद दिलाया है।
अमेरिका-चीन सम्मेलन के बाद अचानक तिब्बत के मुद्दे ने भी जोर पकड़ा लिया है। हालांकि कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग के बीच बैठक में तिब्बत का कोई मामला शामिल नहीं था। मगर अब तिब्बत मामले पर एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने अमेरिका से चीन पर दबाव बनाने के लिए कहा है। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान तिब्बत मुद्दे का समाधान कराने के बाइडेन के पूर्व के वादे को भी याद दिलाया है।
संगठन ने बाइडन से अपील की है कि वह तिब्बती लोगों के प्रतिनिधियों से सीधी बातचीत के लिए चीन पर दबाव बनाएं। ‘इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत’ ने एक बयान में कहा ,‘‘शी और बाइडन के बीच बैठक ऐसे वक्त पर हुई है जब चीन के नेता का तिब्बत पर नियंत्रण है जिसमें तिब्ब्ती पठार में लोगों का दमन और तिब्बती लोगों पर उसका गंभीर असर शामिल है। ये चिंताएं सीधे तौरे पर राष्ट्रपति शी के समक्ष उठाया जाना बेहद जरूरी है।
उइगर और अन्य समूहों को अपनी बात कहने की आजादी नहीं
संगठन ने कहा कि तिब्बत,उइगर और कई अन्य समूहों जिनमें चीन के लोग भी शामिल हैं उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में बात करने और चीन की सरकार से उन्हें दूर करने की मांग करने की आजादी नहीं है। शी और उनके अधिकारियों को इन आवाजों को भी सुनना चाहिए और बाइडन प्रशासन के पास उन पर इसका दबाव बनाने का अवसर है।’’ बयान में कहा गया, ‘‘खासतौर पर राष्ट्रपति बाइडन को बीजिंग पर तिब्बती लोगों के प्रतिनिधियों के साथ सीधी बातचीत का दबाव बनाना चाहिए, जिसका उन्होंने 2020 के अपने अभियान के दौरान वादा किया था।’’ हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से बैठक के संबंध में जारी एक बयान में कहा गया कि बाइडन ने कैलिफोर्निया के वुडसाइड में शी के साथ बैठक में तिब्बत का मुद्दा उठाया था। (भाषा)
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