Monday, May 13, 2024
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राहुल ने टाइपराइटर की जगह कम्प्यूटर के इस्तेमाल के दौर को किया याद

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि भारतीयों को एक नया विचार अपनाने में समय लगता है लेकिन जब वे उसे समझ जाते हैं तो वे तुरंत उसे अपना लेते हैं।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: September 21, 2017 14:38 IST
Rahul remembers the use of computer instead of typewriter- India TV Hindi
Image Source : PTI Rahul remembers the use of computer instead of typewriter

न्यूयॉर्क: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि भारतीयों को एक नया विचार अपनाने में समय लगता है लेकिन जब वे उसे समझ जाते हैं तो वे तुरंत उसे अपना लेते हैं। राहुल ने उन दिनों को याद करते हुए यह बात कही जब 80 के दशक की शुरुआत में उनके पिता को प्रधानमंत्री कार्यालय में कम्प्यूटर से कामकाज की शुरुआत करने में काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। उन्होंने यहां एक होटल में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब उनके पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी टाइपराइटर की जगह अपने कार्यालय में कम्प्यूटर लाना चाहते थे तो उनके कर्मचारियों ने बोला था कि वे कम्प्यूटर नहीं चाहते। (इसके लिए अपने बेटे को भी मरवा सकते हैं फिलीपीन के राष्ट्रपति)

अमेरिका की दो सप्ताह की यात्रा पर आए गांधी ने कहा, तो सैम पित्रोदा और शायद मेरे पिता ने कहा कि ठीक है आप अपने टाइपराइटर रख सकते हैं। लेकिन हम एक महीने के लिए उनकी जगह कम्प्यूटर लाने जा रहे हैं और एक महीने बाद हम आपको टाइपराइटर्स वापस दे देंगे। राहुल ने कहा कि एक महीने के बाद जब उनके पिता ने टाइपराइटर वापस दिए तो कर्मचारी कम्प्यूटर के लिए लड़ने लगे। 47 वर्षीय राहलु ने कहा, नए विचारों को भारत में अपनाने में समय लगता है लेकिन अगर विचार अच्छा है तो भारत बहुत तेजी से उसे समझाता है और उसका इस्तेमाल करता है तथा दुनिया को दिखाता है कि कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

राहुल ने कहा कि जब वह 12 साल के थे तो उनके पिता ने कहा था कि एक प्रेजेंटेशन है और उसमें उनसे शामिल होने के लिए कहा। उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता था कि प्रेजेंटेशन का क्या मतलब होता है। मैंने सोचा कि मुझो कोई तोहफा मिलने जा रहा है। मैं वहां गया और मैं तथा मेरी बहन कमरे में पीछे जाकर चुपचाप बैठ गए और हम वहां छह घंटे तक बैठे रहे। उन्होंने कहा, सैम और मेरे पिता ने कम्प्यूटरों के बारे में चर्चा की। मुझो समझा नहीं आया कि कम्प्यूटर क्या होता है। दरअसल 1982 में कोई भी नहीं समझाता था कि कम्प्यूटर होता क्या है। मेरे लिए यह एक छोटे बॉक्स की तरह था जिस पर टीवी स्क्रीन लगा था। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रेजेंटेशन अच्छा नहीं लगा क्योंकि उनके लिए यह समझाना मुश्किल था कि वे क्या चर्चा कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि कुछ वर्षों बाद उन्होंने उस प्रेजेंटेशन का परिणाम देखा।

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