Tuesday, May 14, 2024
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China Taiwan US: बाइडेन का बड़ा बयान, अगर चीन ने आक्रमण किया तो अमेरिकी सेना करेगी ताइवान की रक्षा... क्या हैं इसके मायने?

China Taiwan US: चीन की बातों की मानें, तो इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका एक चीन सिद्धांत का पालन करता है, जिसमें ताइवान को चीन का हिस्सा माना जाता है। लेकिन उसके ताइवान के साथ अनौपचारिक रिश्ते हैं।

Shilpa Written By: Shilpa
Updated on: September 19, 2022 13:17 IST
China Taiwan US-Joe Biden- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV China Taiwan US-Joe Biden

Highlights

  • बाइडेन ने चीन-ताइवान पर दिया बयान
  • हमला हुआ तो ताइवान की रक्षा करेगा यूएस
  • वन चाइना पॉलिसी मानता है अमेरिका

China Taiwan US: 'वन चाइना पॉलिसी' को मानने वाले अमेरिका का चीन-ताइवान मामले में रुख बदलता दिख रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अगर चीन ताइवान पर आक्रमण करता है, तो अमेरिकी सेना ताइवान की रक्षा करेगी। ये जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दी है। बाइडेन ने इससे पहले भी इसी तरह का बयान दिया था, लेकिन फिर व्हाइट हाउस ने उसे खारिज कर दिया था। बाइडेन की डेमोक्रेटिक सरकार के सत्ता में आने के बाद से अमेरिकी अधिकारियों के ताइवान दौरे में वृद्धि देखी गई है। इसी साल अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी तो चीन की धमकियों के बीच ताइवान गई थीं। जिसके बाद चीन और ताइवान के बीच का तनाव सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया। साथ ही चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेरकर युद्धाभ्यास किया।

पेलोसी की यात्रा का विरोध करते हुए चीन ने कहा था कि 1979 में, अमेरिका ने राजनयिक संबंधों की स्थापना कर चीन-अमेरिका संयुक्त आधिकारिक पत्र में स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त की थी कि 'अमेरिका पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की सरकार को चीन की एकमात्र कानूनी सरकार के रूप में मान्यता देता है। 181 देशों ने एक-चीन सिद्धांत के आधार पर चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं। वहीं चीन की बातों की मानें, तो इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका एक चीन सिद्धांत का पालन करता है, जिसमें ताइवान को चीन का हिस्सा माना जाता है। लेकिन उसके ताइवान के साथ अनौपचारिक रिश्ते हैं। 

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नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से पता चलता है कि अमेरिका इस देश को चीन के खिलाफ समर्थन देने के लिए तैयार है। यानी वो ताइवान की आजादी का समर्थन कर रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक कड़ा बयान जारी कर कहा था कि उनकी यात्रा 'एक-चीन सिद्धांत और चीन-अमेरिका के तीन संयुक्त सहमति पत्रों के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन है।' चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और कहता है कि वह उसे अपने में मिलाएगा। उसने ये भी कहा कि, ‘यह चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव पर गंभीर प्रभाव करता है और चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर रूप से उल्लंघन करता है। यह ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर करता है और अलगाववादी ताकतों को 'ताइवान की स्वतंत्रता' के लिए गंभीर रूप से गलत संकेत भेजता है।'

क्या है चीन और ताइवान का इतिहास 

ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ, क्वानझोउ और जियामेन के चीनी शहरों के सामने है। यहां शाही किंग राजवंश का शासन चलता था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद, ये द्वीप वापस चीनी हाथों में चला गया। माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों द्वारा मुख्य भूमि चीन में गृह युद्ध जीतने के बाद, राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी के नेता च्यांग काई-शेक 1949 में ताइवान भाग गए। च्यांग काई-शेक ने द्वीप पर चीनी गणराज्य की सरकार की स्थापना की और 1975 तक राष्ट्रपति बने रहे।

चीन ने कभी भी ताइवान के अस्तित्व को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। उसका तर्क है कि यह हमेशा एक चीनी प्रांत था। ताइवान का कहना है कि आधुनिक चीनी राज्य 1911 की क्रांति के बाद ही बना था, और वह उस राज्य या चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा नहीं है, जो कम्युनिस्ट क्रांति के बाद स्थापित हुआ था। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव जारी है। आपको बता दें चीन और ताइवान के आर्थिक संबंध भी रहे हैं। ताइवान के कई प्रवासी चीन में काम करते हैं और चीन ने ताइवान में निवेश किया है।

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अमेरिका और दुनिया ताइवान को कैसे देखती है?

संयुक्त राष्ट्र ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देता है। दुनिया भर में केवल 13 देश- मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिकी, कैरिबियन, द्वीपीय और वेटिकन इसे मान्यता देते हैं। वहीं अमेरिका की चीन से बढ़ती दुश्मनी के चलते उसकी नीति स्पष्ट नहीं लग रही है। जून में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर कब्जा करेगा, तो अमेरिका उसकी रक्षा करेगा। लेकिन इसके ठीक बाद में बाइडेन के बयान पर सफाई देते हुए अमेरिका ने कहा कि वह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है। अमेरिका का ताइपे के साथ कोई औपचारिक संबंध नहीं है, फिर भी वह उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन देता है और हथियारों की आपूर्ति करता है।

साल 1997 में रिपब्लिकन पार्टी के तत्कालीन हाउस स्पीकर न्यूट गिंगरिच ने ताइवान का दौरा किया था। तब भी चीन ने ऐसी ही प्रतिक्रिया दी थी, जैसी उसने पेलोसी के दौरे के समय दिखाई। चीन के नेताओं के साथ अपनी बैठकों का जिक्र करते हुए गिंगरिच ने कहा था, "हम चाहते हैं कि आप समझें, हम ताइवान की रक्षा करेंगे।" लेकिन उसके बाद स्थिति बदल गई। चीन आज विश्व राजनीति में बहुत मजबूत शक्ति बन गया है। चीनी सरकार ने 2005 में एक कानून पारित किया था, जिसमें कहा गया कि अगर ताइवान अलग होने की बात करता है, तो उसे सैन्य कार्रवाई से मुख्य भूमि में शामिल किया जा सकता है। ताइवान की सरकार ने हाल के वर्षों में कहा है कि केवल द्वीप के 23 मिलियन लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार है और हमला होने पर वह अपनी रक्षा करेगा। 2016 से, ताइवान ने एक ऐसी पार्टी को चुना है, जो ताइवान की स्वतंत्रता की वकालत करती है। 

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