Thursday, May 02, 2024
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दिल्ली दंगा: IB अफसर अंकित शर्मा की हत्या के मामले में पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोप तय

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला दयालपुर पुलिस थाने में हुसैन समेत 11 आरोपियों के खिलाफ अधिकारी के पिता की शिकायत पर दर्ज मामले की सुनवाई कर रहे थे।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Updated on: March 24, 2023 7:10 IST
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Image Source : PTI FILE आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन।

नयी दिल्ली: दिल्ली दंगों के दौरान खुफिया ब्यूरो (IB) अफसर अंकित शर्मा की हत्या के मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इस मामले में ताहिर के अलावा 10 अन्य लोगों के खिलाफ भी आरोप तय हुए हैं। बता दें कि ताहिर हुसैन के खिलाफ ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया था और उसमें भी पूर्व AAP नेता के खिलाफ आरोप तय किये जा चुके हैं।

खजूरी खास नाले से मिला था अंकित का शव

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान IB के अधिकारी अंकित शर्मा की कथित हत्या के सिलसिले में पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन और 10 अन्य के खिलाफ गुरुवार को अपहरण और हत्या सहित कई अपराधों में आरोप तय किए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला दयालपुर पुलिस थाने में हुसैन समेत 11 आरोपियों के खिलाफ अधिकारी के पिता की शिकायत पर दर्ज मामले की सुनवाई कर रहे थे। शर्मा का शव चांद बाग पुलिया के पास खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था।

IPC की कई धाराओं में दर्ज हुआ है मुकदमा
जज पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मोहम्मद ताहिर हुसैन, हसीन, नाजिम, कासिम, समीर खान, अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब आलम और मुंतजिम नामक आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगे), 148 (दंगे, घातक हथियार से लैस) और 153ए (धर्म आदि के आधार पर समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 302 (हत्या) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है।’

मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी ताहिर के खिलाफ आरोप तय
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत आरोप तय करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से फरवरी में इनकार कर दिया था। जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच ने तब कहा था कि आरोप तय करने के चरण में अदालत 'विवरण में नहीं जा सकती', जिसे बाद के चरण में देखा जाएगा। बेंच ने कहा था, 'मामला PMLA के तहत आरोप तय करने के चरण में है। इसलिए हमें इस चरण में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता। यह स्पष्ट किया जाता है कि (निचली) अदालत इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पालन करेगी।'

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