नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने सोमवार को मेडिकल कॉलेजों को एक नोटिस जारी किया है। नोटिस में चेतावनी दी है कि अगर वे अपने कॉलेजों में एक मजबूत एंटी-रैगिंग सिस्टम लागू करने में विफल रहे तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि एनएमसी की यह चेतावनी एमबीबीएस के एक 18 वर्षीय छात्र की मौत की दुखद घटना के मद्देनजर आई है, जिसकी कथित तौर पर रैगिंग के कारण मौत हो गई थी।
3 घंटे रखा गया था खड़ा
जानकारी के मुताबिक, गुजरात के पाटन जिले के धारपुर में जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज के छात्र अनिल नटवरभाई मेथानिया को कथित तौर पर सीनियर्स द्वारा कथित रैगिंग के तहत 3 घंटे से अधिक समय तक खड़ा रखा गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। दुखद घटना का संज्ञान लेते हुए, एनएमसी ने सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें सभी संस्थानों से “मजबूत एंटी-रैगिंग सिस्टम लागू करने” के लिए कहा गया।
एनएमसी ने खोली संस्थानों की पोल
एनएमसी ने कहा, "ऐसी घटनाएं छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए एंटी-रैगिंग उपायों के सख्त लागू करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती हैं। रैगिंग फिजिकल, मोरल और कानूनी सीमाओं का उल्लंघन करती है और ऐसी घटनाएं संस्थानों की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करती हैं।" आयोग ने मेडिकल संस्थानों को यह भी बताया कि उसको अंडरग्रेजुएट (यूजी) और पोस्टग्रेजुएट (पीजी) मेडिकल छात्रों से जुड़ी रैगिंग के बारे में कई शिकायतें मिल रही हैं। एनएमसी ने कहा, "इन शिकायतों में मानसिक उत्पीड़न और यहां तक कि आत्महत्या की ओर ले जाने वाले मामले भी शामिल हैं। एनएमसी के एंटी-रैगिंग सेल, यूजीसी एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन और सोशल और प्रिंट मीडिया के माध्यम से रिपोर्ट मिलती हैं।" उन्होंने आगे कहा, "आम तौर पर रिपोर्ट की जाने वाली गतिविधियों में अव्यवस्थित आचरण, चिढ़ाना, जबरदस्ती करना और अनुशासनहीन गतिविधियाँ शामिल हैं।"
विज ओझा ने जारी किया लेटर
एनएमसी के पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईबी) के अध्यक्ष विजय ओझा द्वारा जारी किए गए पत्र में कहा गया है, "इन स्पष्ट विनियमों के बावजूद, अनुपालन में खामियां देखी गई हैं, जिनमें अपर्याप्त निगरानी तंत्र, एंटी-रैगिंग दस्तों की अनुपस्थिति, वार्षिक एंटी-रैगिंग रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता, रैगिंग को प्रभावी ढंग से समाप्त करने के लिए अपर्याप्त जैसे कदम शामिल हैं।"
एंटी रैगिंग स्क्वाड का करें गठन
एनएमसी ने चिकित्सा संस्थानों से आग्रह किया कि वे एंटी रैगिंग स्क्वाड का गठन करें और उन्हें एक्टिव करें ताकि “रैगिंग गतिविधियों की निगरानी और पहचान की जा सके”, शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के बीच एंटी रैगिंग पॉलिसी के बारे में जागरूकता सुनिश्चित की जा सके और समय पर सालाना एंटी रैगिंग रिपोर्ट पेश की जा सके। आगे एनएमसी ने चेतावनी दी, “मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों में रैगिंग की रोकथाम और निषेध विनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार, इन नियमों का पालन न करने पर सख्ती से निपटा जाएगा।”