उन्होंने अपने करियर में सबसे पहला गाना 'दिल ही बुझा हुआ हो तो' गाया था। इसमें कोई शक नहीं कि मुकेश सुरीली आवाज के मालिक थे और यही वजह है कि उनके चाहने वाले सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के संगीत प्रेमी थे। फिल्म-उद्योग में उनका शुरुआती दौर मुश्किलों भरा था। लेकिन एक दिन उनकी आवाज का जादू के.एल. सहगल पर चल गया। मुकेश का गाना सुनकर सहगल भी अचंभे में पड़ गए थे। 40 के दशक में मुकेश के पाश्र्व गायन का अपना अनोखा तरीका था। उस दौर में मुकेश की आवाज में सबसे ज्यादा गीत दिलीप कुमार पर फिल्माए गए। वहीं 50 के दशक में मुकेश को शोमैन 'राज कपूर की आवाज' कहा जाने लगा।
राज कपूर और मुकेश में काफी अच्छी दोस्ती थी। उनकी दोस्ती स्टूडियो तक ही नहीं थी। मुश्किल दौर में राज कपूर और मुकेश हमेशा एक-दूसरे की मदद को तैयार रहते थे। उन्होंने 1951 की फिल्म 'मल्हार' और 1956 की 'अनुराग' में निर्माता के तौर पर काम किया। मुकेश को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसके चलते वह फिल्म 'माशूका' और 'अनुराग' में बतौर हीरो भी नजर आए। लेकिन दोनों फिल्में फ्लॉप हो गईं और उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा।