Friday, April 26, 2024
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कमाई से ज्यादा खर्च कर रहे हैं एमपी, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्य! जानिए क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर

फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस देकर जवाब मांगा है। फ्रीबीज को लेकर लोकहित में एक रेखा खींचने की मांग उठती रही है। इस लेख में फ्रीबीज को लेकर जानने की कोशिश करेंगे कि यह क्या है और कैसे इससे राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: October 07, 2023 15:10 IST
क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर

नई दिल्ली : देश के पांच राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में किसी भी वक्त विधानसभा चुनावों का ऐलान हो सकता है। इससे पहले कल चुनाव आयोग ने ऑब्जर्वर्स के साथ मीटिंग कर तैयारियों का जायजा लिया। चुनावों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लग जाएगी और सराकार की तरफ से की जा रही मुफ्त सौगातों या मुफ्त रेवड़ी (फ्रीबीज) की घोषणाओं पर रोक लग जाएगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फ्रीबीज पर सख्ती दिखाई और केंद्र समेत राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे की फ्रीबीज क्या है और कौन-कौन से राज्य ऐसे हैं जो फ्रीबीज के नाम पर सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं।

फ्रीबीज क्या है?

सबसे पहले बात करें कि फ्रीबीज क्या है और यह शब्द प्रचलन में कैसे आया ? दरअसल, यह चुनावों से पहले राजनीतिक दलों द्वारा जनता को मुफ्त में मुहैया करानेवाली चीजों से जुड़े वादे का है। चुनाव से पहले जनता को लुभाने के लिए राजनीतिक दल बिजली, पानी से लेकर राशन समेत कई वस्तुएं मुफ्त में मुहैया कराने का वादा करते हैं। लोग इन मुफ्त की रवड़ियों (फ्रीबीज) के प्रलोभन में आ जाते हैं  और संबंधित दल के वादों पर भरोसा कर उन्हें अपना कीमती वोट दे देते हैं। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कई ऐसे राजनीतिक दल हैं जिन्होंने फ्रीबीज का ऐलान कर इसका लाभ लिया है। 

फ्रीबीज की परिभाषा 

फ्रीबीज की परिभाषा की अगर बात करें तो आरबीआई ने इसे परिभाषित करते हुए बताया कि लोक कल्याण के लिए खाना, शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य जैसी योजनाएं फ्रीबीज के अंतर्गत आती हैं। लंबे समय के बाद मानवता के विकास के स्तर पर यह देश के लिए फायदेमंद साबित होंगे लेकिन जब इससे अलग जैसे-लैपटॉप, टीवी, सोने के गहने, मिक्सर ग्राइंडर जैसी चीजों का ऐलान किया जाता है तो फिर यह सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाएंगी। इन फ्रीबीज में टैक्सपेयर्स का एक बड़ा हिस्सा चला जाता है और उनका कहना है कि सरकार इसे विकास के अन्य कामों पर खर्च कर सकती है। इस तरह मुफ्त की रेवड़ी बांटना ठीक नहीं है।

क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर

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क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर

भारत में फ्रीबीज की शुरुआत

भारत में फ्रीबीज की शुरुआत आजादी के कुछ साल बाद ही हो गई थी। हालांकि इसके पीछे उद्देश्य लोककल्याण से जुड़ा हुआ था। 1954 से 1963 के बीच तत्कालीन मद्रास स्टेट के मुख्यमंत्री के कामराज ने मुफ्त शिक्षा और मुफ्त भोजन की योजना बनाई। इसके बाद 1967 में डीएमके के चीफ सीएम अन्नदुरई ने साढ़े चार किलो चावल मुफ्त में देने का ऐलान किया। धीरे-धीरे इन योजनाओं को उद्देश्य लोक कल्याण से ज्यादा लोगों को वोटों के लिए प्रलोभन देने जैसा हो गया। 2006 में एआईएडीएमके ने तो रंगीन टीवी देने का ऐलान किया। वहीं डीएमके ने रंगीन टीवी के साथ केबल कनेक्शन भी देने की बात कही। इस तरह से यह एक रेवड़ी कल्चर बन गया। बाद के दिनों में सभी राजनीतिक दल जनता को लुभाने के लिए चुनावी वादे करने लगे।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण है दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार। 2015 का विधानसभा चुनाव आप ने मुफ्त पानी और मुफ्त बिजली के वादे पर जीत ली। 

फ्रीबीज का अर्थव्यवस्था पर असर

आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब,मध्य प्रदेश,आंध्र प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, झारखंड, बंगाल जैसे राज्य  अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर देते हैं। इनमें से ज्यादातर राज्य ऐसे हैं जिनपर कर्ज का बोझ भी ज्यादा है। इससे बजट घाटा बढ़ता है। जब बजट घाटा बढ़ता है तो राज्य कर्ज लेने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में राज्य को होनेवाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा ब्याज देने में चला जाता है। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलन डगमगा जाता है। 

क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर

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क्या है फ्रीबीज और कैसे अर्थव्यवस्था पर पड़ता है असर

इसी तरह कर्नाटक में भी कांग्रेस की जीत के पीछे फ्रीबीज की अहम भूमिका रही। कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव से पहले पांच गारंटी के तहत फ्रीबीज का ऐलान किया था। यह कोशिश सफल रही और वहां कांग्रेस की सरकार बन गई। ठीक इसी तर्ज पर राजस्थान में भी कांग्रेस ने कई ऐसे फैसले लिए जिससे सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ रहा है। कुल मिलाकर कहें तो , संवेदनशीलता के साथ, लोक-कल्याणकारी भावना के तहत अगर राजनीतिक दल जनता के हित के लिए फैसले लेते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन जब वोट पाने के मकसद से टीवी, मोबाइल, खाते में पैसे डालने जैसे तिकड़म अपनाए जाते हैं तो फिर इसका दूरगामी असर राज्य के खजाने पर पड़ता है।

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