Sunday, May 12, 2024
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NDA और I.N.D.I.A. से क्यों दूर हैं ये बड़े दल? 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सियासी हलचल तेज

2024 के लोकसभा चुनावों में असली मुकाबला NDA और INDIA के बीच माना जा रहा है लेकिन कुछ बड़ी पार्टियां इन दोनों खेमों से इतर अपनी संभावनाएं तलाशती नजर आ रही हैं।

Vineet Kumar Singh Written By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Updated on: July 19, 2023 14:02 IST
ओडिशा के सीएम नवीन...- India TV Hindi
Image Source : FILE ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, बीएसपी सुप्रीमो मायावती और AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी।

नई दिल्ली: 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सियासी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। यह तय हो गया है कि 2024 में होने वाली सत्ता की जंग मुख्य तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच होगी, जिसमें वे अपने-अपने सहयोगी दलों के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे। एक तरफ जहां इस जंग में बीजेपी के साथ कुल 38 दल हैं, वहीं कांग्रेस 26 सहयोगियों के साथ दिल्ली का किला फतह करने की कोशिश में हैं। इस बीच कुछ दल ऐसे भी हैं जो न बीजेपी के खेमे में हैं और न ही कांग्रेस के। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों में इन दलों की भूमिका भी अहम हो सकती है।

2024 के चुनावों में NDA बनाम I.N.D.I.A.

18 जुलाई को बीजेपी के नेतृत्व में हुई NDA और कांग्रेस के नेतृत्व में हुई विपक्ष की बैठक में 2024 के चुनावों के दोनोें मुख्य प्रतिद्वंदियों को लेकर तस्वीर थोड़ी साफ हो गई है। मंगलवार को बेंगलुरु में हुई विपक्ष की बैठक में गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. (India National Developmental Inclusive Alliance) रखने पर सहमति बनी, और इसे NDA बनाम I.N.D.I.A. कहकर प्रचारित किया जा रहा हैं। हालांकि बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, तेलुगूदेशम पार्टी, भारत राष्ट्र समिति, एआईएमआईएम और शिरोमणि अकाली दल ने अभी इन दोनों में से किसी भी गुट का दामन नहीं थामा है। आइए, एक नजर इनकी संभावनाओं पर डालते हैं:

1: बहुजन समाज पार्टी
मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी ने एलान किया है कि वह आगामी आम चुनावों में किसी भी गुट का हिस्सा नहीं होगी। सियासी पंडितों का मानना है कि I.N.D.I.A. के सहयोगी दलों को बसपा सुप्रीमो पर भरोसा नहीं है और दूसरी तरफ बीजेपी उनके जैसी कद्दावर नेता की सभी मांगों को मानने की स्थिति में नहीं होगी। वहीं, मायावती को भी पता है कि अगर वह दोनों पक्षों में से किसी के भी साथ जाती हैं तो इस बार उन्हें बड़े स्तर पर समझौता करना पड़ सकता है। ऐसे में उनके लिए आगामी चुनावों में अकेले ही जाने का विकल्प सबसे प्रभावी लगता है।

BSP, BJD, TDP, YSR Congress, BRS, SAD, AIMIM, Lok Sabha Chunav

Image Source : PTI
विपक्ष ने अपने नए गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रखा है।

2: बीजू जनता दल
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाला बीजू जनता दल सूबे में अपनी मजबूत उपस्थिति पिछले 2 दशकों से लगातार बनाए हुए है। राज्य में जहां बीजेडी की मुख्य प्रतिद्वंदी बीजेपी है, वहीं इसी पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से उसके रिश्ते काफी अच्छे हैं। ऐसे में बीजेडी के लिए एनडीए के साथ गठबंधन करने में कोई फायदा नहीं है। दूसरी तरफ, अगर वह I.N.D.I.A. के साथ जाते हैं तो अपने राज्य में उन्हें कांग्रेस या अन्य दल कोई फायदा देने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेडी के अकेले जाने की पूरी संभावना है।

3: भारत राष्ट्र समिति
तेलंगाना की सियासत में भारत राष्ट्र समिति मजबूती से जमी हुई है। पार्टी के नेता और सूबे के मुख्यमंत्री सी. चंद्रशेखर राव ने पहले बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में विपक्ष का अगुवा बनने की कोशिश की थी, लेकिन अच्छा रेस्पॉन्स न मिलने की वजह से उन्होंने कदम पीछे खींच लिए। माना जा रहा है कि फिलहाल सीएसआर का ध्यान अपनी पार्टी को और विस्तार देने में है। वहीं, सूबे में बीजेपी से मिल रही चुनौती में भी सीएसआर और उनकी पार्टी की अच्छी खासी ऊर्जा खत्म हो रही है।

4: वाईएसआर कांग्रेस
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने भी एनडीए और I.N.D.I.A. से समान दूरी बनाई हुई है। हालांकि वास्तविकता के धरातल पर देखा जाए तो जगन एनडीए के ज्यादा करीब नजर आते हैं, और इसकी वजह उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चल रही जांच भी हो सकती है। बता दें कि आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड़्डी काफी मजबूत हैं और माना जा रहा है कि हाल-फिलहाल जनता उनका साथ नहीं छोड़ने वाली है। ऐसे में राज्य में भले ही बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस आमने-सामने हों, केंद्र की कहानी अलग है।

BSP, BJD, TDP, YSR Congress, BRS, SAD, AIMIM, Lok Sabha Chunav

Image Source : PTI
18 जुलाई को नई दिल्ली में एनडीए की ताकत की एक झलक दिखी थी।

5: तेलुगूदेशम पार्टी
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगूदेशम पार्टी इस समय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। चंद्रबाबू नायडू ने ही पिछले लोकसभा चुनावों से पहले एनडीए से नाता तोड़ लिया था, हालांकि यह फैसला उनके लिए घातक साबित हुआ। हाल ही में एक बार फिर टी़डीपी के एनडीए में शामिल होने को लेकर चर्चा चली थी, लेकिन आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड़्डी और केंद्र सरकार से उनके रिश्ते को देखते हुए चंद्रबाबू कुछ ज्यादा आश्वस्त नजर नहीं आए। वहीं, कुछ अन्य सियासी घटनाक्रमों ने भी चंद्रबाबू को थोड़ा दूर कर दिया है। दूसरी तरफ, I.N.D.I.A. गठबंधन भी चंद्रबाबू में ज्यादा दिलचस्पी दिखाता नजर नहीं आ रहा है, और यही वजह है कि वह फिलहाल अकेले हैं।

6: एआईएमआईएम
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM ने भी दोनों ही गुटों में से किसी के भी साथ जाना ठीक नहीं समझा। दरअसल, ओवैसी का बीजेपी के साथ जाना वैसे भी पचने वाली बात नहीं है, और कांग्रेस पर भी वह पिछले कुछ समय से लगातार हमलावर रहे हैं। सियासी पंडितों का मानना है कि ओवैसी अपने लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी भूमिका की तलाश कर रहे हैं ऐसे में वह फिलहाल किसी भी गुट में बंधना नहीं चाहते। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में खुद के दम पर AIMIM किस हद तक लोगों को प्रभावित कर पाती है।

7: शिरोमणि अकाली दल
2019 के लोकसभा चुनावों से कुछ अरसे बात कृषि कानूनों के मुद्दे पर एनडीए का साथ छोड़ने वाली शिरोमणि अकाली दल के घरवापसी की चर्चाएं तेज हैं। दरअसल, एनडीए से अलग होने के बाद पंजाब में अकाली दल की ताकत घटती गई है और अब हालत यह है कि वह सूबे में दूसरे नंबर की पार्टी भी नहीं रह गई है। माना जा रहा है कि खुद को रिवाइव करने की कोशिश में अकाली दल एक बार फिर एनडीए के साथ आ सकती है, और पिछले कुछ समय से इस बारे में चर्चाएं भी चल रही हैं।

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