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कमजोर फेफड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं ये योगासन, जान लें कब और कैसे करें?

योग के विभिन्न भाग हैं और आसन इसका केवल एक भाग है। योग के अन्य भाग हैं यम, नियम, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। आसन/मुद्राएँ आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Apr 21, 2025 6:30 IST, Updated : Apr 21, 2025 6:53 IST
योग
Image Source : SOCIAL योग

फेफड़े शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। वे शरीर में ऑक्सीजन लाने और शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को निकालने में मदद करते हैं। इसलिए, फेफड़ों को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है, योग आसन के विभिन्न प्रकार हैं और उनमें से प्रत्येक के अपने-अपने लाभ हैं। कुछ योग आसन ऐसे हैं जो आपके फेफड़ों के लिए लाभकारी हैं।यहाँ कुछ योग मुद्राएँ दी गई हैं जो फेफड़ों की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं।

 

  • ताड़ासन: ताड़ासनपर्वत मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, यह मुद्रा छाती को खोलती है और फेफड़ों को पूरी तरह से फैलने देती है। यह आपका ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करने में भी मदद करता है जो आपकी सांस लेने की क्षमता को बेहतर बनाने का पहला कदम है।

  • भुजंगासन: भुजंगासन कोबरा मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, यह मुद्रा छाती और फेफड़ों को फैलाती है, जिससे वायुमार्ग को साफ करने और श्वसन क्रिया में सुधार करने में मदद मिलती है। यह डायाफ्राम को मजबूत करता है और फेफड़ों की लोच बढ़ाता है।

  • धनुरासन: धनुरासन, धनुष मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, यह मुद्रा छाती और वक्ष को खोलती है, जिससे फेफड़ों के विस्तार में मदद मिलती है। यह पीठ की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है और मुद्रा में सुधार करता है, जिससे सांस लेने में सुधार होता है।

  • उष्ट्रासन: ऊंट मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, यह मुद्रा फेफड़ों के विस्तार और छाती और पसलियों के पिंजरे को खोलने के लिए अच्छी है। यह ऑक्सीजन का सेवन बढ़ाता है और फेफड़ों के लचीलेपन को बढ़ाता है।

  • सेतु बंधासन: ब्रिज पोज़ के रूप में भी जाना जाता है, यह बैकबेंड छाती को ऊपर उठाता है और फेफड़ों को मजबूत करता है। यह थायरॉयड और फेफड़ों को उत्तेजित करता है, ऑक्सीजन के प्रवाह और सांस नियंत्रण में सुधार करता है।

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन: सीटेड स्पाइनल ट्विस्ट के रूप में भी जाना जाता है, यह मुद्रा छाती में तनाव को दूर करने और पसलियों की गतिशीलता में सुधार करने में मदद करती है, जिससे गहरी सांस लेने में मदद मिलती है।

  • अनुलोम विलोम: अनुलोम विलोम प्राणायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करती है, ऑक्सीजन अवशोषण को बढ़ाती है और तंत्रिका तंत्र को शांत करती है।

Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)

 

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