
पिछले 10 सालों में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में शुगर से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। जिसकी वजह खराब हो रही लाइफस्टाइल को माना जा रहा है। डायबिटीज दो तरह की होती है। टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। अब आपको समझने की जरूरत है कि डाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज में क्या अंतर होगा है और इसके कारण क्या हैं?
टाइप 1 डायबिटीज क्या है?
टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक डिजीज है। इसमें पैनक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। जिससे शरीर इंसुलिन बनाने में असमर्थ हो जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा देने के लिए ग्लूकोज का उपयोग करने में मदद करता है। आप जो खाना खाते हैं उससे शरीर को ग्लूकोज मिलता है। इंसुलिन का काम होता है कि वो खून से ग्लूकोज को आपके शरीर की कोशिकाओं तक ले जाता है। जब कोशिकाओं में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज होता है, तो आपका लीवर और मांसपेशियों के ऊतक ग्लाइकोजन के रूप में अतिरिक्त ग्लूकोज को स्टोर करते हैं। जिसका इस्तेमाल शरीर एनर्जी के लिए करता है।
टाइप 1 डायबिटीज में, आपका शरीर इंसुलिन की कमी के कारण ग्लूकोज को स्टोर नहीं कर पाता है। खाने से ग्लूकोज आपकी कोशिकाओं में नहीं जा पाता है, जिससे खून में ग्लूकोज की मात्रा काफी बढ़ जाती है। खून में ज्यादा ग्लोकूज होने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
जबकि टाइप 2 डायबिटीज में कोशिकाएं इंसुलिन के लिए सही रिस्पॉन्स नहीं देती हैं। हार्मोन के पर्याप्त स्तर होने के बावजूद, शरीर ब्लड से ग्लूकोज को कोशिकाओं में ले जाने के लिए फाइट करता है। आखिर में शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाना बंद कर सकता है। लंबे समय में टाइप 2 डायबिटीज खतरनाक हो सकती है।
किस उम्र के लोगों को है डायबिटीज टाइप 1 का खतरा
ज्यादातर युवा अवस्था में ही टाइप 1 डायबिटीज का खतरा होता है। टाइप 1 डायबिटीज का खतरा 4 से 7 साल और 10 से 14 साल के युवाओं में सबसे ज्यादा होता है। इसके कारणों की बात करें तो जेनेटिक यानि फैमिली में किसी को डायबिटीज होना, किसी वायरस के संपर्क में आने से और कुछ मामलों में वातावरण से जुड़े हुए फैक्टर्स भी सामने आते हैं। कई स्टडीज में पाया गया है कि ठंडी जगहों पर रहने वालों में डायबिटीज टाइप 1 का खतरा ज्यादा होता है।
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण
- बार-बार पेशाब आना
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- ज्यादा भूख लगना
- चोट लगने पर ठीक नहीं होना
- आंखों की रौशनी कम होन
- थकावट और कमजोरी महसूस होना
- बिना किसी कारण के वजन कम होना
Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)