सफेद दाग की बीमारी को लेकर पुराने समय में कई भ्रांतियां थी, लोग इसे छुआछूत की बामारी मानते थे। लेकिन आज के समय में सफेद दाग यानी विटिलिगो को लेकर लोग जागरुक हुए हैं। दुनियाभर में 25 जून को विटिलिगो डे (World Vitiligo Day ) मनाया जाता है। विटिलिगो एक क्रोनिक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसके कारण त्वचा पर सफेद रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। शुरुआत में ये शरीर के किसी एक अंग में दिखता है और आगे जाकर ये पूरे शरीर में फैलने लगता है। इसका असर बालों और भौंहों पर भी पड़ता है, जिसके कारण इनका कलर सफेद हो जाता है।
विटिलिगो रोग क्यों होता है? (vitiligo disease causes)
विटिलिगो एक ऑटोइम्यून बीमारी है, इस पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मेलानोसाइट्स पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इसके अलावा ये बीमारी जीन से माध्यम से भी परिवार में आगे बढ़ती है। अगर माता या पिता में से किसी को विटिलिगो है तो ये आगे बच्चों में होने की संभावना रहती है। विटिलिगो में सनबर्न, इमोशनल डिसट्रेस या किसी रसायन के संपर्क में आने से ये बीमारी ज्यादा बढ़ सकती है।
विटिलिगो के लक्षण (symptoms of vitiligo)
- विटिलिगो का सबसे प्रमुख लक्षण त्वचा का रंग खोना है।
- विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति की कोहनी, मुंह, नाक और आंखों पर सबसे पहले इसका असर देखने को मिल सकता है।
- विटिलिगो से आपके सिर पर धब्बे दिखाई दे सकते हैं और बालों का रंग भी बदल सकता है।
सफेद दाग यानी विटिलिगो की समस्या होने पर डरे नहीं और तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज कराएं। इस बीमारी के बारे में दूसरों को भी जागरुक करें।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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