Tuesday, April 23, 2024
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केंद्र ने तीन नगा उग्रवादी समूहों के साथ संघर्षविराम समझौता एक साल के लिए बढ़ाया

केंद्र ने नगालैंड के तीन उग्रवादी समूहों के साथ संघर्षविराम समझौते को सोमवार को एक और साल के लिए बढ़ा दिया, जो अगले वर्ष अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 12, 2021 18:48 IST
भारत सरकार ने नागा समूहों के साथ संघर्ष विराम समझौते को 1 वर्ष के लिए बढ़ाया- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO भारत सरकार ने नागा समूहों के साथ संघर्ष विराम समझौते को 1 वर्ष के लिए बढ़ाया

नई दिल्ली। केंद्र ने नगालैंड के तीन उग्रवादी समूहों के साथ संघर्षविराम समझौते को सोमवार को एक और साल के लिए बढ़ा दिया, जो अगले वर्ष अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड/एनके (एनएससीएन/एनके), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड/रिफॉर्मेशन (एनएससीएन/आर) तथा नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड/के-खांगो (एनएससीएन/के-खांगो) के बीच संघर्ष विराम समझौते जारी हैं। 

बयान में कहा गया, ‘‘संघर्ष विराम समझौतों को एक साल के लिए और बढ़ाने का निर्णय किया गया है, जो एनएससीएन/एनके और एनएससीएन/आर के साथ 28 अप्रैल 2021 से 27 अप्रैल 2022 तक तथा एनएससीएन/के-खांगो के साथ 18 अप्रैल 2021 से 17 अप्रैल 2022 तक प्रभावी रहेगा।’’ इन समझौतों पर सोमवार को हस्ताक्षर किए गए। ये तीनों संगठन एनएससीएन-आईएम और एनएससीएन-के से टूटकर बने थे। 

एनएससीएन-आईएम ने केंद्र सरकार के साथ 1997 में संघर्षविराम समझौता किया था और वह तभी से शांति वार्ताओं में शामिल रहा है। इस संगठन ने नगा मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए तीन अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में ‘फ्रेमवर्क एग्रीमेंट’ नामक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता 18 साल तक चली 80 से अधिक दौर की वार्ता के बाद हुआ था। इस संबंध में पहली सफलता 1997 में मिली थी जब नगालैंड में दशकों तक चले उग्रवाद के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ। राज्य में उग्रवाद की समस्या भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिलने के कुछ दिन बाद ही शुरू हो गई थी। 

हालांकि, वर्तमान में एनएससीएन-आईएम के साथ बातचीत नहीं हो रही है क्योंकि संगठन नगालैंड के लिए एक अलग ध्वज और संविधान की मांग कर रहा है, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया है। एनएससीएन-के ने केंद्र के साथ 2001 में एक संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन 2015 में इसने समझौते को एकतरफा रूप से तोड़ दिया था। उस समय समूह के तत्कालीन अध्यक्ष एस एस खापालांग जीवित थे। 

हालांकि, पिछले साल दिसंबर में एनएससीएन-के ने खूंखार उग्रवादी निकी सुमी के नेतृत्व में संघर्षविराम की घोषणा की थी और कहा था कि संगठन ने शांति वार्ता शुरू करने के लिए केंद्र से संपर्क किया है। सुमी मणिपुर में 2015 में हुई 18 भारतीय सैनिकों की हत्या में प्रमुख आरोपी था और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उसके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

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