Friday, March 29, 2024
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समाधान नहीं होने पर बेस्ट की हड़ताल पर मंगलवार को जारी करेंगे उचित आदेश: उच्च न्यायालय

बंबई उच्च न्यायालय में महाराष्ट्र सरकार और बीईएसटी (बेस्ट) की कर्मचारी यूनियन के बीच बसों की हड़ताल खत्म करने को लेकर सोमवार को कोई समझौता नहीं हो पाया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 14, 2019 22:26 IST
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समाधान नहीं होने पर बेस्ट की हड़ताल पर मंगलवार को जारी करेंगे उचित आदेश: उच्च न्यायालय

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय में महाराष्ट्र सरकार और बीईएसटी (बेस्ट) की कर्मचारी यूनियन के बीच बसों की हड़ताल खत्म करने को लेकर सोमवार को कोई समझौता नहीं हो पाया। उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अगर यूनियन और सरकार गतिरोध खत्म नहीं कर पाते हैं तो वह सात दिन से चल रही बेस्ट की हड़ताल पर मंगलवार को उचित आदेश देगा। बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन उपक्रम (बेस्ट) के 32,000 से ज्यादा कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर बीते मंगलवार से हड़ताल पर हैं और 3,700 बसें सड़कों से नदारद हैं। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटिल और न्यायमूर्ति एन एम जामदार की पीठ ने कहा, ‘‘ चीजें इसी तरह से जारी नहीं रह सकती हैं।’’ 

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पीठ ने सोमवार को हड़ताल कर रही यूनियन से बातचीत करने के लिए गठित की गई उच्चस्तरीय समिति को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देने को कहा। इस रिपोर्ट में समिति यूनियन की कुछ अत्यावश्यक मांगों पर अपना रुख स्पष्ट करेगी। पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी), राज्य सरकार और बेस्ट उपक्रम से ‘सौहार्दपूर्ण माहौल’ में मुद्दों को हल करने की अपील की। साथ में यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जनता को कम से कम असुविधा हो। उच्च न्यायालय में पिछले हफ्ते वकील दत्ता माणे ने जनहित याचिका दायर कर अदालत से बेस्ट के कर्मियों को तुरंत अपनी हड़ताल वापस लेने के लिए आदेश जारी करने का अनुरोध किया था। 

उच्च न्यायालय के दखल के बाद, राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अगुवाई में एक समिति गठित की थी और यूनियन तथा अन्य पक्षकारों के साथ बैठक की। सोमवार को बीएमसी ने पीठ से कहा कि बेस्ट कर्मियों की परेशानियों के संबंध में उन्होंने कई समाधानों का प्रस्ताव दिया है, लेकिन यूनियन हड़ताल वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने पीठ के समक्ष दोहराया कि जरूरी सेवाओं पर राज्य के कानून और शहर की औद्योगिक अदालत के एक आदेश के मद्देनजर यह हड़ताल ‘अवैध’ है।

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