Friday, March 29, 2024
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केरल विमान हादसा: कैप्टन दीपक साठे 1990 के दशक में हुए विमान हादसे में बाल-बाल बचे थे

केरल के कोझिकोड हवाईअड्डे पर शुक्रवार को हुई विमान दुर्घटना में 17 अन्य लोगों के साथ जान गंवाने वाले कैप्टन दीपक साठे 1990 के दशक की शुरूआत में एक हवाई दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे। 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 08, 2020 16:47 IST
Pilot of Air India Express flight Captain Deepak Sathe survived air crash in 1990s, but returned to - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Pilot of Air India Express flight Captain Deepak Sathe survived air crash in 1990s, but returned to flying

मुंबई। केरल के कोझिकोड हवाईअड्डे पर शुक्रवार को हुई विमान दुर्घटना में 17 अन्य लोगों के साथ जान गंवाने वाले कैप्टन दीपक साठे 1990 के दशक की शुरूआत में एक हवाई दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे। उस वक्त वह भारतीय वायुसेना में थे और चोटों के चलते उन्हें छह महीने अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। उनके एक रिश्तेदार ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उस दुर्घटना में साठे के सिर में चोट लगी थी, लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और जज्बे के चलते वह उड़ान जांच की बाधा को पार गये और फिर से विमान उड़ाना शुरू कर दिया। दुबई से आ रहा एअर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान शुक्रवार रात भारी बारिश के बीच कोझिकोड हवाईअड्डे पर उतरने के दौरान हवाईपट्टी से फिसल गया और 35 फुट गहरी खाई में जा गिरा तथा उसके दो हिस्से हो गए। विमान में 190 लोग सवार थे। कैप्टन साठे और उनके सह पायलट अखिलेश कुमार इस दुर्घटना में मारे गये लोगों में शामिल हैं। 

साठे भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर थे और उन्होंने बल के उड़ान परीक्षण प्रतिष्ठान में सेवा दी थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में वित्तीय सलाहकार के पद पर कार्यरत उनके करीबी रिश्तेदार नीलेश साठे ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, 'यह मानना मुश्किल है कि वह अब नहीं रहे। वह दुबई से वंदे भारत अभियान के तहत यात्रियों को लाने वाले एअर इंडिया एक्सप्रेस के उस विमान के पायलट थे, जो कल रात कोझिकोड अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की हवाईपट्टी पर फिसल गया।'

उन्होंने कहा, 'दीपक के पास 36 साल का उड़ान अनुभव था। वह एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) से थे, 58वें पाठ्यक्रम के टॉपर थे और 'सोर्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किये गये थे। दीपक ने 2005 में एअर इंडिया के साथ वाणिज्यिक पायलट के तौर पर जुड़ने से पहले भारतीय वायुसेना में 21 साल सेवा दी। उन्होंने हफ्ते भर पहले ही मुझसे फोन पर बात की थी और हमेशा की तरह खुश थे।' उन्होंने बताया, 'जब मैंने उनसे वंदे भारत अभियान के बारे में पूछा, तब उन्होंने अरब देशों से हमारे देशवासियों को लाने में गर्व महसूस होने की बात कही। मैंने उनसे पूछा, दीपक क्या आप खाली विमान ले कर जाते हैं क्योंकि उन देशों में यात्रियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही? उनका जवाब था, 'नहीं, हम फल, सब्जी, दवा आदि इन देशों में ले जाते हैं और कभी भी इन देशों में खाली विमान नहीं जाता। यह मेरी उनसे आखिरी बातचीत थी।' 

साठे के रिश्तेदार ने कहा, 'वह 1990 के दशक की शुरूआत में जब भारतीय वायुसेना में थे तब एक हवाई दुर्घटना में बाल-बाल बच गये थे। उनके सिर में कई चोटें आईं और वह छह महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह फिर से विमान उड़ा सकेंगे। लेकिन यह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और उड़ान के प्रति प्रेम ही था कि उन्होंने उड़ान जांच की बाधा पार कर ली। यह एक करिश्मा था।' उनके मुताबिक, कैप्टन साठे के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं। दोनों बेटों ने आईआईटी बंबई से पढ़ाई की है। उन्होंने बताया कि कैप्टन साठे ब्रिगेडियर वसंत साठे के बेटे थे, जो नागपुर में रहते थे। उनके भाई कैप्टन विकास भी सेना में थे, जिन्होंने जम्मू क्षेत्र में सेवारत रहने के दौरान अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। इस बीच, एअर इंडिया सूत्रों ने कहा कि एयरलाइन साठे के छोटे बेटे को स्वदेश लाने का इंतजाम कर रही है, जो अमेरिका में रह रहे हैं। 

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