Thursday, April 25, 2024
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1984 सिख विरोधी दंगा: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस को 'नरसंहार' के लिए ठहराया दोषी

‘‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’’ को एक ‘‘ऐतिहासिक भूल’’ बताते हुए जेटली ने कहा कि 1984 से 1998 के बीच की अवधि को दबाने-छिपाने वाला दौर कहा जा सकता है जिसमें सभी मामलों को दबा दिया गया-मानों 1984 का नरसंहार हुआ ही न हो।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 21, 2018 23:31 IST
Arun Jaitley- India TV Hindi
Arun Jaitley

नई दिल्ली: वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में भूमिका के कारण एक व्यक्ति को मृत्युदंड का अदालत द्वारा आदेश दिए जाने के एक दिन बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि अन्य संबंधित मामलों पर भी सक्रियता से काम किया जा रहा है। हालांकि दोषसिद्धि से पीड़ितों के परिवारों को मात्र थोड़ी ही सांत्वना मिलेगी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में दिल्ली तथा अन्य राज्यों में सिख विरोधी दंगे हुए थे तथा इनमें 3000 लोगों की जान गई थी।

‘‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’’ को एक ‘‘ऐतिहासिक भूल’’ बताते हुए जेटली ने कहा कि 1984 से 1998 के बीच की अवधि को दबाने-छिपाने वाला दौर कहा जा सकता है जिसमें सभी मामलों को दबा दिया गया-मानों 1984 का नरसंहार हुआ ही न हो। जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी पहली राजग सरकार ने न्यायमूर्ति जी टी नानावती जांच आयोग को नियुक्त किया था जिसे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश का दायित्व दिया गया।

एक बार फिर यह नरेन्द्र मोदी सरकार है जिसने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी पी माथुर की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन 2015 में किया। एसआईटी ने कई ऐसे मामलों का पता लगाया जहां आरोपी प्रथम दृष्टया दोषी थे किन्तु उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर नहीं किए गए। उन्होंने कहा, ‘‘कल दिल्ली की अदालत ने जिस मामले में दो लोगों को दोषी ठहराया और उनमें से एक को मृत्युदंड दिया गया, उसका अभियोजन दशकों बाद इस एसआईटी ने किया।’’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘बाद में इस एसआईटी का स्थान एक अन्य एसआईटी ने लिया जिसका नेतृत्व उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कर रहे हैं। बाद वाली एसआईटी को उच्चतम न्यायालय ने नियुक्त किया था।’’ उन्होंने कहा कि कल एक मामले में न्याय किया गया है तथा हजारों ऐसे मामले हैं जिनमें 1980 के दशक में ही दण्ड मिल सकता था। जेटली ने कहा, ‘‘एक मामले में सफलता मिली है। भारतीय समाज विशेषकर सिख समुदाय 1984 की भयावह स्मृतियों से मुक्त होना चाहता है।’’

‘‘1984 की विरासत’’ शीर्षक वाली पोस्ट में उन्होंने कहा कि अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में जून 1984 में हुए भीषण आपरेशन का प्रत्यक्ष परिणाम प्रधानमंत्री की हत्या थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह भारतीय इतिहास के सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण और भर्त्सना योग्य कृत्यों में से एक है। इससे शासन की विफलता भी इंगित होती है। इसके परिणामों पर पहले से विचार नहीं किया गया था। यह विनाशकारी साबित हुआ।’’ जेटली ने कहा, ‘‘कांग्रेस जनों ने ‘खून का बदला खून’ के नारे लगा रहे शोकाकुल लोगों एवं प्रदर्शनकारियों के समूहों की अगुवाई की। दूरदर्शन पर 24 घंटे चलने वाले प्रसारण में इस भड़काऊ नारे को दिखाया जा रहा था।’’

उन्होंने कहा कि सिख विरोधी दंगे देश के विभिन्न हिस्सों में शुरू हो गए। दिल्ली सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस जनों ने हिंसक भीड़ की अगुवाई की।’’ पुलिस ने उनका साथ दिया तथा भीड़ को तितर बितर करने के लिए न तो लाठियां चलाई गई, न आंसू गैस छोड़ी गई और ना ही गोलियां चलाई गईं। उन्होंने कहा, ‘‘दंगाइयों को मारने एवं लूटने की खुली छूट दी गयी। सिख समुदाय के पूजा स्थलों को क्षतिग्रस्त किया गया। सिख मकानों को जला दिया गया। उनके व्यापार प्रतिष्ठानों को लूटा गया। हजारों निर्दोष पुरुषों, महिलाओं एवं बच्चों को जला दिया गया या उनके अंगभंग किए गए। पुलिस ने प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की।’’

ऑपरेशन ब्लू स्टार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसकी बहुत खराब योजना बनाई गई और इसे भीषण ढंग से क्रियान्वित किया गया। उग्रवादियों की संख्या तथा उनके द्वारा एकत्र किए गए हथियारों के बारे में कोई खुफिया सुराग नहीं था।’’ जेटली ने कहा, ‘‘ब्लूस्टार भारत के सर्वाधिक देशभक्त समुदाय की भावनाओं को आहत करने में कामयाब हुआ। संकुचित दृष्टिकोण वाली एक सरकार ने इस कदम की राजनीतिक कीमत के बारे में भी विचार नहीं किया।’’

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