Friday, April 19, 2024
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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 'POSCO के तहत दर्ज केस की सुनवाई तेजी से कराएं'

सुप्रीम कोर्टने बच्चों से संबंधित यौन हिंसा के मुकदमों की सुनवाई के संबंध में सभी हाईकोर्ट्स को आज अनेक निर्देश दिये। इसमें देश के सभी हाईकोर्ट से कहा गया है कि निचली अदालतों को POSCO कानून के तहत लंबित मामलों में अनावश्यक सुनवाई स्थगित नहीं करने का निर्देश दिया जाये। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 01, 2018 18:10 IST
Supreme Court directs HC to 'expedite case hearing under POSCO'- India TV Hindi
Supreme Court directs HC to 'expedite case hearing under POSCO'

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से संबंधित यौन हिंसा के मुकदमों की सुनवाई के संबंध में सभी हाईकोर्ट्स को आज अनेक निर्देश दिये। इसमें देश के सभी हाईकोर्ट से कहा गया है कि निचली अदालतों को POSCO कानून के तहत लंबित मामलों में अनावश्यक सुनवाई स्थगित नहीं करने का निर्देश दिया जाये। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सभी हाईकोर्ट्स को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा है कि विशेष अदालतों द्वारा बच्चों से यौन हिंसा के मुकदमों की सुनवाई तेजी से करके उनका फैसला करें। 

शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट्स को निचली अदालतों को यह निर्देश देने के लिये कहा है कि वे यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण ( पोक्सो ) कानून के तहत लंबित मुकदमों की सुनवाई स्थगित करने की अनावश्यक इजाजत नहीं दें। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट बच्चों से यौन हिंसा से संबंधित मुकदमों की सुनवाई की निगरानी के लिये तीन न्यायाधीशों की समिति गठित कर सकते हैं। 

न्यायालय ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव की जनहित याचिका का निबटारा करते हुये यह निर्देश दिया। श्रीवास्तव ने राजधानी के नेताजी सुभाष पार्क के निकट एक बस्ती में 28 वर्षीय रिश्तेदार द्वार आठ महीने की बच्ची से कथित बलात्कार के मामले में याचिका दायर की थी। नवजात शिशुओं और नाबालिग बच्चियों से बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुये केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 अप्रैल को ऐसे अपराधों के कानून में कठोर प्रावधान करते हुये एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी।इसमें 12 साल से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार के अपराध में मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है। श्रीवास्तव ने भी अपनी याचिका में इस तरह के अपराध के लिये मौत की सजा का प्रावधान करने और ऐसे अपराधों की जांच छह महीने के भीतर पूरी करने के लिये दिशा निर्देश बनाने का अनुरोध किया था। 

दिल्ली के मामले में पुलिस ने दावा था कि आरोपी ने शराब के नशे में बच्ची से बलात्कार करना कबूल किया है। इस बच्ची के माता पिता अपनी बच्ची को अपनी एक रिश्तेदार के पास छोड़कर काम पर जाते थे। एक रविवार जब उस रिश्तेदार का बेटा घर पर अकेला था तो उसने कथित रूप से बच्ची से दुष्कर्म किया। काम से जब मां घर लौटी तो उसने पीडि़त के कपड़ों पर खून के निशान देखे और उसने अपने पति को सूचित किया और वे बच्ची को अस्पताल ले गये जहां उसके साथ यौन हिंसा किये जाने का पता चला। 

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