Wednesday, December 10, 2025
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सुषमा स्वराज के निधन से भाजपा में ‘दिल्ली 4’ युग का अंत

सुषमा स्वराज के निधन के साथ उन ‘डी 4’ नेताओं की राजनीतिक यात्रा का अंत हो गया है जिन्हें वर्ष 2004 के बाद पार्टी का मुख्य चेहरा बने लालकृष्ण आडवाणी का वरदहस्त प्राप्त था।

Reported by: Bhasha
Published : Aug 07, 2019 09:32 pm IST, Updated : Aug 07, 2019 09:32 pm IST
Sushma Swaraj- India TV Hindi
Image Source : PTI An artist paints a mural of former external affairs minister Sushma Swaraj, who passed away yesterday.

नई दिल्ली। सुषमा स्वराज के निधन के साथ उन ‘डी 4’ नेताओं की राजनीतिक यात्रा का अंत हो गया है जिन्हें वर्ष 2004 के बाद पार्टी का मुख्य चेहरा बने लालकृष्ण आडवाणी का वरदहस्त प्राप्त था।

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली स्वास्थ्य कारणों से दैनिक राजनीति से बाहर हो गए हैं। वहीं, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू अपने संवैधानिक पद की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हैं। ‘डी 4’ के एक अन्य नेता अनंत कुमार का पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था और गत मंगलवार को स्वराज के निधन से एक युग का समापन हो गया है।

इन नेताओं को ‘दिल्ली 4 या डी 4’ इसलिए कहा जाता था क्योंकि ये अधिकांशत: राष्ट्रीय राजधानी में रहकर ही अपना कार्य करते थे। भाजपा संरक्षक आडवाणी से नजदीकी के चलते पार्टी में इनका काफी प्रभाव होता था।

वर्ष 2009 में आडवाणी जब प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार थे तो उस समय योजना बनाने और रणनीति तैयार करने में इन नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस चुनाव में भाजपा की हार के बावजूद इन नेताओं का पार्टी के भीतर जलवा कायम रहा।

स्वराज जहां लोकसभा में नेता विपक्ष बनीं, वहीं जेटली राज्यसभा में नेता विपक्ष बने। वर्ष 2009 में कांग्रेस नीत संप्रग की सत्ता में फिर हुई वापसी के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुजुर्ग होते आडवाणी और उनके वरदहस्त प्राप्त नेताओं से परे विकल्प आजमाने का फैसला किया।

आरएसएस ने नितिन गडकरी को नया भाजपा अध्यक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह नागपुर से ताल्लुक रखते थे जहां आरएसएस का मुख्यालय है और राष्ट्रीय राजनीति में पूरी तरह से बाहरी थे। स्वराज और जेटली हालांकि संसद में भाजपा की आवाज बन गए, लेकिन संघ गडकरी को लाकर उनके प्रभाव को कम करता प्रतीत हुआ।

अनेक लोग लोकसभा में पार्टी की नेता स्वराज को आडवाणी की उत्तराधिकारी और 2014 के आम चुनाव में पार्टी का संभावित चेहरा मानते थे। आडवाणी युग के धुंधला होने के साथ-साथ ‘डी 4’ नेताओं की पार्टी में पकड़ ढीली होती गई और तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय परिदृश्य में उभरकर सामने आए। इसके साथ ही मोदी को पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के लिए 2014 में अपना उम्मीदवार बनाया।

अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के साथ ही पार्टी में शक्ति का केंद्र स्थानांतरित हो गया। हालांकि, ‘डी 4’ नेता पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई संसदीय बोर्ड में बने रहे। पहली मोदी सरकार में इन सभी नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया। जेटली और स्वराज को क्रमश: वित्त और विदेश जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय मिले।

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