Thursday, May 16, 2024
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वाराणसी: 63 साल से रेत खाकर जी रही है 78 साल की ये महिला

कुसमावती पूरी तरह सेहतमंद हैं। न आखों पर चश्मा, न झुकी कमर। अब उनके पोते-पोती भी हो चुके हैं और उनकी ज़िम्मेदारी है दादी के लिए बालू जुटाना। कई बार तो पड़ोसी भी उन्हें बालू दान में दे देते हैं। कुसमावती पूरी तरह सेहतमंद हैं। न आखों पर चश्मा, न झुकी क

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Published on: August 03, 2017 13:31 IST
Kusumawati-Sand- India TV Hindi
Kusumawati-Sand

नई दिल्ली: आपने कभी ऐसा सुना है कि कोई व्‍यक्ति अपने भोजन में रेत खाए और उसके बाद भी उसकी सेहत सही सलामत रहे। जी हां, ये सच हौ। ये कहानी है कि वाराणसी में रहने वाली 78 साल की एक बुजुर्ग महिला कुसमावती की, जो रोजाना रेत खाती हैं। कुसमावती की इस रेत खाने की आदत को देख हर कोई हैरान रह जाता है। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि यह महिला पिछले 63 सालों से सिर्फ रेत खाकर जिंदा है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस

कुसुमावती का कहना है कि वह 15 साल की थीं तब एक बार बीमार होने के बाद उनका पेट फूलने लगा था। डॉक्टरों ने उनका इलाज किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में नाड़ी देखकर एक डॉक्टर ने उन्हें बताया कि वह आधा गिलास दूध और दो चम्मच बालू खाएं, तो उनको आराम मिलेगा। ऐसा करने से उनको आराम मिल गया। इसके बाद से उनको बालू खाने की आदत पड़ गई। कुछ दिनों तक वह बालू को खाती रहीं। उसके बाद बीच बालू खाना छोड दिया था।

फिर बालू न खाने पर उनको फिर से पेट की दिक्कत हो गई। फिर से उनके परिवार वाले उनको डॉक्टर पास लेकर गए। डॉक्टर ने कई टेस्ट भी कराए। इसके बावजूद उनको आराम नहीं मिला। अब उन्होंने फिर से बालू खाना शुरू कर दिया। ऐसा करने से उनको फिर से आराम मिल गया। इसके बाद से इनको रेत खाने की आदत ही पड़ गई है। वहीं उनकी इस आदत पर उनके परिवार वाले इनको मना भी नहीं करते हैं, क्योंकि ऐसा करने से उनको आराम मिलता है।

कुसमावती की शादी हुई, फिर दो बेटे और एक बेटी हुए, मगर हर दिन बालू फांकने का सिलसिला जारी रहा। अब उनके पोते-पोती भी हो चुके हैं और उनकी ज़िम्मेदारी है दादी के लिए बालू जुटाना। कई बार तो पड़ोसी भी उन्हें बालू दान में दे देते हैं। कुसमावती पूरी तरह सेहतमंद हैं। न आखों पर चश्मा, न झुकी कमर। अब उनके पोते-पोती भी हो चुके हैं और उनकी ज़िम्मेदारी है दादी के लिए बालू जुटाना। कई बार तो पड़ोसी भी उन्हें बालू दान में दे देते हैं। कुसमावती पूरी तरह सेहतमंद हैं। न आखों पर चश्मा, न झुकी कमर।

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