Sunday, April 28, 2024
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Char Dham Pilgrims Death: चारधाम यात्रा के दौरान दो हफ्ते में 34 श्रद्धालुओं की मौत, ज्यादातर को हुआ था कोरोना, पढ़िए डिटेल

उत्तराखंड में चल रही चार धाम यात्रा में पिछले दो सप्ताह में हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और माउंटेन सिकनेस से कम से कम 34 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं, जो पहले कोरोना के संक्रमण से गुजर चुके थे।

Deepak Vyas Edited by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: May 16, 2022 9:06 IST
Char Dham Pilgrims Death- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Char Dham Pilgrims Death

Highlights

  • फेफड़े के मरीजों को पहाड़ों पर यात्रा के दौरान होती है तकलीफ
  • यात्रा मार्ग पर पानी की कमी और लंबे जाम
  • ऑल वेदर रोड बनने के बाद भी लग रहा जाम

Char Dham Pilgrims Death: उत्तराखंड में चल रही चार धाम यात्रा में पिछले दो सप्ताह में 34 श्रद्धालुओं के मौत हो गई है। दो हफ्ते के भीतर ही हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और माउंटेन सिकनेस से कम से कम 34 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं, जो पहले कोरोना के संक्रमण से गुजर चुके थे। ऊंचाई वाली जगहों पर यात्रियों की मौत को देखते हुए प्रशासन ने एहतियात बढ़ाई है।

संक्रमण के बाद सख्त हो जाते हैं फेफड़े

चिकिस्त्कों का कहना है कि काेरोना से जिनके फेफड़ों में ज्यादा संक्रमण हुआ था, उन्हें ऊंचाई वाली जगहों में दिक्कत होती है। गंभीर संक्रमण की स्थिति में फेफड़े सख्त हो जाते हैं। उनके फूलने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में मैदान से आया व्यक्ति तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ चढ़ते हुए सांस लेने की जद्दोजहद कर रहा होता है तो फेफड़े ठीक से फूल नहीं पाते। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

इसका मतलब यह है कि गंभीर संक्रमण से जूझ चुके मरीज भले ही ठीक हो गए हों, लेकिन कई मामलों में उनके फेफड़े अभी पूरी तरह से रिकवर नहीं हो पाए हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि ऐसे लोग ऊंचाई वाले इलाकों में जाने से बचें। इसीलिए यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच के लिए नए मेडिकल कैंप भी बनाए गए हैं। चारधामों में हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम पैदल मार्ग सहित वाहनों में भी तीर्थ यात्रियों की स्क्रीनिंग कर रहा है।

ऐसे लोग पहाड़ी यात्रा से बचें

चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन लोगों को पिछले साल कोरोना हुआ था और उनके फेफड़ों में संक्रमण सीटी स्कैन में 12 पॉइंट से ज्यादा निकला था, उन्हें इस साल ऊंचाई वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। ऐसे लोग ऊंचाई वाली जगह पर जाने से पहले यात्री एक्स-रे या सीटी स्कैन कराएं।

छाती, या फेफड़ों में कोई तकलीफ निकले तो उन जगहों से जांच के लिए बलगम या टिश्यू सैंपल निकालने के लिए ब्रोन्कोस्कोपी का प्रयोग कर सकते हैं। ब्रोन्कोस्कोपी जांच पल्मोनोलॉजिस्ट (श्वास रोग विशेषज्ञ) की देखरेख में की जाती है। इस जांच से पता चल जाएगा कि फेफड़ों की हालत कैसी है। उसके आधार पर ही यात्रा करने या उससे बचने का फैसला कर सकते हैं।

यात्रा मार्ग पर पानी की कमी और लंबे जाम

चारधाम यात्रा के दौरान लगातार हो रही मौतों पर केंद्र ने भी संज्ञान लेते हुए पहली बार एनडीआरएफ और आईटीबीपी को तैनात किया है। इस बीच, श्रद्धालुओं की भारी संख्या के चलते यात्रा मार्ग पर बदइंतजामी भी दिख रही है। कहीं पानी की किल्लत है तो कहीं सात-सात किमी लंबा जाम है। मौके का फायदा उठाते हुए होटल और रेस्त्रां मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। हालत ये हो गई है कि प्रशासन को ऐसे व्यापारियों की गिरफ्तारी के आदेश देने पड़े हैं। यह भी तय किया गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन कराए पहुंचने वाले यात्रियों को ऋषिकेश से आगे जाने की इजाजत नहीं मिलेगी।

ऑल वेदर रोड बनने के बाद भी लग रहा जाम

आम लोगों को उम्मीद थी कि इस बार ऑल वेदर रोड बनने से चारधाम यात्रा में सहूलियत होगी। जाम नहीं लगेगा, लेकिन यात्रा रूट पर पड़ने वाले कई कस्बों में जबरदस्त जाम लग रहा है। रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी, पुरोला, जोशीमठ, नंद्रप्रयाग, श्रीनगर आदि कस्बों में पुलिस को जाम को व्यवस्थित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

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