Monday, April 29, 2024
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CJI in Ranchi: 'लोगों को लगता है कि जज बड़े आराम की जिंदगी जी रहे हैं, जबकि यह एक झूठ है' - चीफ जस्टिस एनवी रमण

CJI in Ranchi: चीफ जस्टिस ने कहा कि, “इस समय न्यायपालिका के सामने कई बड़ी चुनौतियों हैं। इनमें में से एक निर्णय के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से आंखें नहीं मूंद सकते।

Sudhanshu Gaur Edited By: Sudhanshu Gaur
Published on: July 23, 2022 12:51 IST
CJI- India TV Hindi
Image Source : ANI CJI

Highlights

  • न्यायपालिका के सामने कई बड़ी चुनौतियां
  • जजों के बारे में लोगों की बड़ी धारणा
  • रिटायरमेंट के बाद सभी जजों की सुरक्षा भी नहीं मिलती - CJI

CJI in Ranchi:  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन आज शनिवार को झारखंड की राजधानी रांची में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जहां वे 'जस्टिस एसबी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर' कार्यक्रम में शमिल हुए है। जहां उन्होंने कहा कि, आज के समय और आधुनिक लोकतंत्र में एक जज को केवल कानून बताने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। लोकतांत्रिक में जज का एक विशेष स्थान होता है, वह सामाजिक वास्तविकता और कानून के बीच की खाई को पाटता है। वह संविधान की आत्मा और उसके मूल्यों की रक्षा करता है।

कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि, "मैंने कई मौकों पर कई ऐसे मुद्दों को उजागर किया जो पिछले कई वर्षों से लंबित पड़े हुए थे।" उन्होंने कहा कि वे जजों को उनकी पूरी क्षमता से काम करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता की पुरजोर वकालत करता रहा हूं। आज कल एक धारणा बना ली गई है कि जज बड़ा ही शाही जीवन जी रहे हैं, जबकि यह सरासर गलत है। लोग अक्सर मुझसे भारतीय न्यायिक प्रणाली के सभी स्तरों पर लंबे समय से लंबित मामलों की शिकायत करते हैं।

न्यायपालिका के सामने कई चुनौतियां - CJI 

चीफ जस्टिस ने कहा कि, “इस समय न्यायपालिका के सामने कई बड़ी चुनौतियों हैं। इनमें में से एक निर्णय के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से आंखें नहीं मूंद सकते। सिस्टम को टालने योग्य संघर्षों और बोझ से बचाने के लिए जज को प्रेसिंग मैटर्स को प्राथमिकता देनी होगी।”

सीजेआई ने आगे कहा, “इन दिनों, जजों पर फिज़िकल हमले बढ़े हैं। बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के जजों को उसी समाज में रहना है, जिसे उन्होंने दोषी ठहराया है।” उन्होंने कहा, “नेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को उनकी नौकरी की संवेदनशीलता की वजह से रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी जाती है। लेकिन वहीं जजों को कोई सुरक्षा नहीं दी जाती है।”

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