
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को 4 हफ्ते का समय दिया है। गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर रिपोर्ट देने के लिए आठ हफ्ते का समय मांगा था, लेकिन हाईकोर्ट ने अनुरोध खारिज करते हुए चार हफ्तों का समय दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी। बता दें कि पिछले कई वर्षों से राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और लोगों के बीच यह चर्चा का विषय रहा है।
याचिका इस दावे के आधार पर दाखिल हुई थी कि राहुल गांधी भारत के साथ-साथ ब्रिटेन के भी नागरिक हैं, ऐसे में वह संविधान के अनुच्छेद 84(ए) के तहत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। लिहाजा, उनकी सांसदी रद्द की जानी चाहिए।
क्या है राहुल गांधी की नागरिकता का मामला?
दरअसल, 1 जुलाई 2024 को कर्नाटक के वकील और बीजेपी सदस्य एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने का भी आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने ब्रिटिश सरकार के 2022 के गोपनीय मेल का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता के पास हैं ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज
इस याचिका में राहुल की ब्रिटिश नागरिकता को कथित तौर पर छुपाने के कारण इसी साल रायबरेली लोकसभा सीट से उनके निर्वाचन को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके पास ब्रिटिश सरकार के सभी दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। लिहाजा वह लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते।
बता दें कि राहुल गांधी ने 2024 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। इससे पहले वे अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीतते आए हैं। हालांकि, 2019 के चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे।
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