Thursday, December 12, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. तीसरे बच्चे का क्या दोष? मैटरनिटी लीव 2 बच्चों तक सीमित रखने के नियम पर हाईकोर्ट ने केंद्र को दिया ये आदेश

तीसरे बच्चे का क्या दोष? मैटरनिटी लीव 2 बच्चों तक सीमित रखने के नियम पर हाईकोर्ट ने केंद्र को दिया ये आदेश

कोर्ट ने कहा कि तीसरे बच्चे को जन्म के तुरंत बाद और शिशु अवस्था के दौरान मातृ स्पर्श से वंचित रखा जाना ठीक नहीं है, क्योंकि नियम 43 के अनुसार उस बच्चे की मां से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जन्म के अगले ही दिन ड्यूटी पर लौट आए।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jul 23, 2024 23:40 IST, Updated : Jul 23, 2024 23:40 IST
maternity leave- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को सीसीएस (अवकाश) नियम पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत महिला सरकारी कर्मचारियों को पहले दो बच्चों के जन्म के समय मातृत्व अवकाश दिया जाता है। हाईकोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि तीसरे और उसके बाद के बच्चों का क्या दोष है, जिन्हें उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।

केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43 के अनुसार, कोई महिला सरकारी कर्मचारी शुरुआती दो बच्चों के जन्म के समय दोनों बार 180 दिन की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है। अदालत ने कहा तीसरे बच्चे को जन्म के तुरंत बाद और शिशु अवस्था के दौरान मातृ स्पर्श से वंचित रखा जाना ठीक नहीं है, क्योंकि नियम 43 के अनुसार उस बच्चे की मां से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जन्म के अगले ही दिन ड्यूटी पर लौट आए।

मातृ देखभाल से वंचित होगा तीसरा बच्चा...

अदालत ने कहा, “यह याद रखना महत्वपूर्ण होगा कि किसी गर्भवती महिला के शारीरिक व मनोवैज्ञानिक परिवर्तन एक समान रहते हैं, चाहे वह पहली दो गर्भवास्था के दौरान हों, या तीसरे या उसके बाद की गर्भावस्था के दौरान। इसके अलावा, बाल अधिकारों के दृष्टिकोण से इस मुद्दे पर गौर करने पर हम पाते हैं कि सीसीएस (अवकाश) नियमों के तहत नियम 43 एक महिला सरकारी कर्मचारी के पहले दो बच्चों और तीसरे या बाद के बच्चे के अधिकारों के बीच एक अनुचित भेद पैदा करता है। इससे तीसरे और बाद के बच्चे को उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।”

किस मामले की पृष्ठभूमि में कोर्ट ने दिया निर्देश?

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की बेंच ने कहा कि तीसरा बच्चा पूरी तरह असहाय है, इसलिए न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह हस्तक्षेप करे। बेंच केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें पुलिस को तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली महिला कांस्टेबल को मातृत्व अवकाश देने का निर्देश दिया गया था। महिला के पुलिस में भर्ती होने से पहले दो बच्चे थे। इसके बाद उसकी पहली शादी टूट गई और दोनों बच्चे अपने पिता के पास रहने लगे। दूसरी शादी से उसे तीसरा बच्चा हुआ, लेकिन मातृत्व अवकाश के लिए उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। (भाषा इनपुट्स के साथ)

यह भी पढ़ें-

‘मैटरनिटी लीव’ पर गई महिला कर्मचारी को नौकरी से निकाला, हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

18+ छात्राओं को मिलेगी 6 महीने की मैटरनिटी लीव, जानें किस भारतीय यूनिवर्सिटी ने लिया फैसला

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement