Saturday, December 20, 2025
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भारत में रेल की पटरी पर 600 KM की स्पीड से दौड़ी ये चीज क्या, जिसे केंद्रीय मंत्री ने किया पोस्ट

ISRO ने गगनयान मिशन की तैयारी में बड़ी छलांग लगा दी है। उसने ड्रोग पैराशूट के अहम क्वालिफिकेशन टेस्ट को पूरा कर लिया है। यह सफलता देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को भरोसेमंद और सुरक्षित बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।

Reported By : T Raghavan Edited By : Vinay Trivedi Published : Dec 20, 2025 09:30 pm IST, Updated : Dec 20, 2025 09:36 pm IST
Drogue Parachute test- India TV Hindi
Image Source : REPORTERS INPUT इसरो ने गगनयान मिशन को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया।

चंडीगढ़: मिशन गगनयन प्रोजेक्ट के सिलसिले में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने एक और अहम कामयाबी हासिल की है। इसरो ने 18-19 दिसंबर, 2025 के दौरान टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL), चंडीगढ़ की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज (RTRS) सुविधा में गगनयान क्रू मॉड्यूल विकास के लिए ड्रोग पैराशूट के Qualification Tests किए गए, जिसमें वह पूरी तरह सफल रहा। गगनयान क्रू मॉड्यूल में 4 तरह के कुल 10 पैराशूट शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने की परीक्षण की तारीफ

इसकी तारीफ करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, 'यह जानकर बेहद खुशी हो रही है कि भारत अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ गया है। ISRO ने 18-19 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ स्थित टीबीआरएल की आरटीआरएस सुविधा में गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए ड्रोग पैराशूट परिनियोजन योग्यता परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किए। परीक्षणों ने विभिन्न उड़ान स्थितियों में ड्रोग पैराशूट के प्रदर्शन और विश्वसनीयता की पुष्टि की, जो भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए पैराशूट प्रणाली को योग्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।'

टेस्ट की पूरी प्रक्रिया क्या है?

बता दें कि ये प्रकिया पैराशूट से दो टॉप कवर के अलग होने से शुरू होती है जो पैराशूट, क्रू मॉड्यूल के डिब्बेनुमा सुरक्षात्मक आवरण को हटाते हैं। इसके बाद दो ड्रोग पैराशूट होते हैं जो मॉड्यूल को स्थिर और धीमा करते हैं। ड्रोग पैराशूट के बाद तीन पायलट पैराशूट तैनात किए जाते हैं, जो एक सुरक्षित टचडाउन सुनिश्चित करने के लिए क्रू मॉड्यूल को और धीमा कर देते हैं। पटरी पर दौड़ते वक्त इसकी स्पीड 600 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

ड्रोग पैराशूट की तैनाती क्यों है अहम?

इस प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक ड्रोग पैराशूट की तैनाती है, जो क्रू मॉड्यूल को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वातावरण में दोबारा प्रवेश के दौरान इसके वेग को सुरक्षित स्तर तक कम करते हैं। इन Qualification Tests का मकसद चरम परिस्थितियों में ड्रोग पैराशूट के प्रदर्शन और विश्वसनीयता का कड़ाई से मूल्यांकन करना था।

गौरतलब है कि ड्रोग पैराशूट पर दोनों आरटीआरएस परीक्षण 18 और 19 दिसंबर, 2025 को सफलतापूर्वक आयोजित किए गए थे, जिसमें सभी परीक्षण उद्देश्यों को पा लिया गया था और उड़ान की स्थिति में महत्वपूर्ण भिन्नता की स्थिति में भी उनकी मजबूती की पुष्टि की गई थी। इसरो ने कहा कि इन परीक्षणों का सफल समापन मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए पैराशूट प्रणाली को योग्य बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

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