Thursday, March 28, 2024
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Rajat Sharma's Blog | दिल्ली का मुंडका अग्निकांड : एक ऐसा हादसा जिसे टाला जा सकता था

यह घटना देश की राजधानी में फायर सेफ्टी के लिए अपनाए जानेवाले उपायों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। 

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: May 14, 2022 16:01 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पश्चिमी दिल्ली के मुंडका में शुक्रवार शाम एक कमर्शियल बिल्डिंग में भीषण आग लगने से झुलसकर 27 लोगों की मौत हो गई। यह घटना देश की राजधानी में फायर सेफ्टी के लिए अपनाए जानेवाले उपायों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस हादसे के बाद करीब 29 लोग लापता बताए जा रहे हैं जिनमें 24 महिलाएं और पांच पुरुष हैं। परिवारवाले और करीबी रिश्तेदार इनका पता लगाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। वहीं इस हादसे में जख्मी 12 लोग अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। 

शाम साढ़े चार बजे के करीब बिल्डिंग की पहली मंजिल से आग शुरू हुई। संभवत : शॉर्ट सर्किट के चलते बिल्डिंग में आग लग गई। पहली मंजिल से शुरू हुई आग देखते ही देखते दूसरी और तीसरी मंजिल तक फैल गई। बाद में आग की लपटों ने पूरी चार मंजिला बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले लिया। फायर ब्रिगेड की 28 गाड़ियां, दिल्ली पुलिस और एनडीआरएफ की टीमों की मदद से करीब साढ़े छह घंटे बाद आग पर काबू पाया जा सका। राहत और बचाव के कामों में जुटा प्रशासनिक अमला शनिवार सुबह तक घटनास्थल पर झुलसे शवों की तलाश में जुटा था। 

लाल डोरा की जमीन पर बनी हुई इस बिल्डिंग का व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा था जबकि इसका उपयोग आवासीय बिल्डिंग के तौर पर होना चाहिए । बिल्डिंग मालिकों ने दिल्ली फायर सर्विसेज की ओर से कोई एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं ले रखी थी। इस बिल्डिंग में नीचे से ऊपरी मंजिल तक आने-जाने का केवल एक ही रास्ता था और वो भी एक संकरी सीढ़ी थी। बिल्डिंग में अग्निशामक यंत्र और फायर सेफ्टी अलार्म नहीं थे। इस बिल्डिंग का उपयोग दफ्तर, फैक्ट्री और गोदाम के तौर पर किया जा रहा था।

बिल्डिंग की पहली मंजिल पर सीसीटीवी कैमरे और वाईफाई राउटर पैकेजिंग यूनिट से उठी आग देखते ही देखते दूसरी मंजिल तक फैल गई जहां पर कंपनी के कर्मचारियों का मोटिवेशनल सेशन चल रहा था। आग लगते ही ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद अधिकांश लोग बाहर निकलने में कामयाब रहे लेकिन पहली और दूसरी मंजिल पर बड़ी संख्या में लोग फंस गए। इन लोगों को स्थानीय लोगों द्वारा रस्सियों और सीढ़ी का इस्तेमाल कर बचाने की कोशिश की गई। वहीं बिल्डिंग में फंसे हुए कई लोगों ने नीचे छलांग लगा दी जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि जो भी इस हादसे के लिए जम्मेदार होंगे उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। उन्होंने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया। इस हादसे में मरने वालों में ज्यादातर पैकेजिंग यूनिट की महिला कर्मचारी थीं। जिला पुलिस प्रमुख ने कहा कि हादसे में मारे गए लोगों की पहचान के लिए फोरेंसिक कर्मचारियों की मदद से डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।  

मुंडका का हादसा दिल्ली में हाल के दिनों में हुए बड़े अग्निकांडों में से एक है। इससे पहले 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी। 1999 में लाल कुआं अग्निकांड हुआ था। इस अग्निकांड में केमिकल मार्केट में आग लग गई थी और 57 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 2018 में बवाना में पटाखा की फैक्ट्री में आग लगने से 17 लोगों की मौत हुई थी। 2019 में अनाज मंडी पेपर फैक्ट्री अग्निकांड में 45 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं उसी साल करोल बाग के होटल में आग लगने से 17 लोगों की मौत हुई थी। 

उधर, शुक्रवार की रात को ही सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग कंपनी के दोनों मालिक वरुण और हरीश गोयल को गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं बिल्डिंग का मालिक मनीष लाकड़ा फिलहाल फरार है । चूंकि पूरी इमारत धुएं और आग की लपटों में घिरी हुई थी इसलिए फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बगल की बिल्डिंग की एक दीवार तोड़नी पड़ी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हादसे की मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दे दिया है, लेकिन जैसा कि आमतौर पर ऐसे मामलों में ये होता रहा है कि जांच रिपोर्ट और जांच आयोग की सिफारिशों को शायद ही जमीनी तौर पर लागू किया जाता है या उनपर अमल होता है। पूरी दिल्ली में कई लाख कमर्शियल (व्यावसायिक) बिल्डिंग्स हैं जिनमें फायर सेफ्टी के पर्याप्त उपाय नहीं हैं। ज्यादातर बिल्डिंग्स को दिल्ली फायर सर्विस की ओर से एनओसी नहीं दी गई है।

राजधानी में दिल्ली में कई तरह की अथॉरिटीज हैं। एमसीडी से लेकर डीएफएस से लेकर दिल्ली सरकार की एजेंसियों तक, यहां अथॉरिटीज की बहुलता है। ऐसे में कमर्शियल बिल्डिंग्स के मालिक नियमों और कानूनों को सुविधा के मुताबिक मोड़ने की पूरी कोशिश करते हैं। अब समय आ गया है कि जो लोग सत्ता में बैठें हैं वे इसका संज्ञान लें और फायर सेफ्टी से जुड़ी योजनाओं को सावधानी से लागू कराएं। 

अगर बिल्डिंग में कई सीढ़ियां होतीं, फायर सेफ्टी के लिए बाहर से भी सीढ़ियां होतीं तो मुंडका की इस त्रासदी को आसानी से टाला जा सकता था। सीढ़ियां बनाने, फायर सेफ्टी अलार्म और अग्निशामक यंत्र जैसी चीजें आग के हादसों से बचाने के लिए न्यूनतम जरूरत होती है और कोई भी नियामक प्राधिकरण (रेग्यूलेटरी अथॉरिटी) इसकी सिफारिश कर सकता था। दिल्ली सरकार को अग्निशमन सेवाओं के साथ ऐसे सभी कमर्शियल और आवासीय भवनों का ऑडिट करना चाहिए और नियमों को सख्ती से लागू करना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 मई, 2022 का पूरा एपिसोड

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