Saturday, May 04, 2024
Advertisement

Rajat Sharma’s Blog - चुनाव नतीजे: मोदी ने राजनीति के व्याकरण को ही बदल कर रख दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिवाद, परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति को ध्वस्त कर दिया है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 11, 2022 18:57 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Election Result, Rajat Sharma, Blog- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, लोकप्रियता और प्रशासनिक क्षमता को एक बार फिर स्थापित कर दिया। उत्तर प्रदेश में मोदी की यह चौथी चुनावी जीत है, जो अपने आप में अद्भुत है। इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जबरदस्त जीत ने उन्हें न सिर्फ उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा नेता बना दिया, बल्कि बीजेपी में उन्हें राष्ट्रीय पटल पर लाकर खड़ा कर दिया।

चुनाव के नतीजों ने बहुत सारे मिथक तोड़ दिए। जो लोग इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि वक्त के साथ मोदी की लोकप्रियता कम हो जाएगी, जो सोचते थे कि कोरोना के बाद महंगाई और बेरोजगारी से मोदी की ताकत कम हो जाएगी, वे गलत साबित हुए। नरेंद्र मोदी पहले से और अधिक शक्तिशाली, पहले से और अधिक लोकप्रिय होकर सामने आए।

उत्तर प्रदेश में जो लोग दावा करते थे कि किसान आंदोलन के छुटभैये नेता योगी आदित्यनाथ को हरा देंगे, वे गलत साबित हुए। जो लोग यकीन करने लगे थे कि अखिलेश यादव की सभाओं में आने वाले भीड़ का उत्साह योगी की विदाई का संकेत हैं, वे औंधे मुंह गिरे। जो सोचने लगे थे कि जातिवाद का गठबंधन योगी पर भारी पड़ेगा, वे भी गलत साबित हुए। जिन्हें लगता था कि परिवारवाद के दम पर, मुस्लिम तुष्टिकरण के बल पर चुनाव जीता जा सकता है, वे फेल हो गए। जो जातियों के नेता दावा करते थे कि वे जिस पार्टी में जाते हैं उत्तर प्रदेश में उसी की जीत होती है, वे अपनी सीट भी नहीं बचा पाए।

संक्षेप में कहें तो नरेंद्र मोदी ने जातिवाद, परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति को ध्वस्त कर दिया है। ये नतीजे साफ दिखाते हैं कि देश में एक बार फिर राष्ट्रवाद, सुशासन और जन-कल्याण की नीतियों को जनता ने वोट दिया है। ये आने वाले समय में देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत हैं।

तथ्यों की बात करें तो अकेले यूपी में 2.61 करोड़ शौचालय बनाए गए, सरकारी मदद से गरीबों के लिए 43.5 लाख घर बनाए गए, 1.43 करोड़ गरीब लोगों के घरों को बिजली कनेक्शन दिए गए, 10 करोड़ गरीबों को मेडिकल इंश्योरेंश कवर दिया गया और 15 करोड़ गरीब लोगों को महामारी के दौरान मुफ्त राशन दिया गया।

पहले लोगों का विश्वास था कि जातियों के बड़े नेताओं के काम करो, उन्हें मालामाल करो तो वोट मिलेंगे। पहले परंपरा थी कि ठेकेदारों को, माफिया को, बाहुबलियों को पालो-पोसो तो वोट मिल जाएंगे। एक विचार था कि परिवारवाद और वंशवाद के नाम पर वोटों की ठेकेदारी करो तो चुनाव जीता जा सकता है।

नरेंद्र मोदी ने इस नैरेटिव को बदल दिया, इन सारी अवरणाओं को ध्वस्त कर दिया, राजनीति का व्याकरण ही बदल कर रख दिया। मोदी ने राजनीति को कितना बदल दिया है, ये इस बात से पता चलता है कि अगर गरीब के खाते में डायरेक्ट पैसा जाएगा, शौचालय, आवास, बिजली,  स्वास्थ्य और राशन की व्यवस्था होगी, तो चुनाव में भी जीत मिलेगी। बदलाव की इस राजनीति से नरेंद्र मोदी के प्रति निष्ठा बढ़ेगी, और चूंकि इन चुनावों पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर थी, देश से कहीं आगे बढ़कर मोदी की प्रतिष्ठा में विश्व स्तर पर भी इजाफा होगा।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने योगी आदित्यनाथ ने एक बड़े राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। यूपी का ये चुनाव योगी के नाम पर, और पिछले 5 सालों में किए गए उनके काम पर लड़ा गया। चुनाव से पहले जब मोदी ने योगी के कंधे पर हाथ रखा तो यूपी की जनता को साफ संदेश गया कि पीएम की नजर में योगी ने अपनी काबिलियत साबित कर दी है।

मोदी ने यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में जमकर योगी की तारीफ की। मोदी को किसी और नेता की, अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के किसी उम्मीदवार की, इतनी तारीफ करते मैंने पहले कभी नहीं सुना। मोदी ने योगी को पूरी तरह बैक किया, सपोर्ट दिया, और योगी इन तारीफों के हक़दार भी थे।

योगी का पूरा व्यक्तित्व, उनकी बेदाग छवि, दिन-रात मेहनत करने का उनका जुनून, अपराध और माफिया को बिना किसी दया के कुचलने की उनकी क्षमता, योजनाओं के बारे में नए-नए विचार , प्रशासनिक कुशलता, किसी जाति या किसी नेता के दबाव में न आने की शक्ति, ये सब नरेंद्र मोदी के नैरेटिव में फिट होते हैं। इन्हीं सब बातों ने योगी आदित्यनाथ को मोदी का प्रिय बना दिया है।

लेकिन कोई भी नेता असल में बड़ा तब बनता है जब जनता उसे स्वीकार करती है, और देश के सबसे बड़े राज्य में 5 साल सरकार चलाने के बाद प्रचंड बहुमत हासिल करना योगी को और भी बड़ा बनाता है। योगी आदित्यनाथ से उत्तर प्रदेश की जनता को बहुत अपेक्षाएं हैं। जनता ने अपना काम कर दिया अब योगी को अगले 5 सालों में जनता का कर्ज चुकाना है।

वंशवाद की राजनीति

गुरुवार को आए चुनाव नतीजों ने आखिरकार यूपी और पंजाब दोनों में वंशवादी राजनीति के मिथक को भी ध्वस्त कर दिया है। वंशवाद की राजनीति के दिन अब खत्म होते दिख रहे हैं। अब जनता किसी नेता के परिवार के नाम पर नहीं बल्कि उसके काम के आधार पर वोट देगी। नतीजों ने केंद्र में गांधी-नेहरू परिवार, यूपी में मुलायम सिंह यादव और अजित सिंह के परिवारों और पंजाब में बादल परिवार को बड़ा झटका दिया है।

इस बार जिन 5 राज्यों में चुनाव हुए, उनमें से किसी भी राज्य में कांग्रेस को जीत नहीं मिली। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल ने इन चुनावों में बेहद ही खराब प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश में में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस के कैंपेन की कमान संभाली थी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी का वोट शेयर घटकर आधे से भी कम रह गया है। सूबे में कांग्रेस केवल 2 सीटें ही जीत सकी और उसका वोट प्रतिशत घटकर 2.3 प्रतिशत रह गया। पार्टी को कुल मिलाकर 21,51,234 वोट मिले, जो कि जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल से 2.85 प्रतिशत (26,30,168 वोट) से भी कम है।

पंजाब में कांग्रेस का वोट शेयर 5 साल में 38.5 फीसदी से घटकर 23.3 फीसदी हो गया। पंजाब में सत्तारूढ़ रही इस पार्टी के पास अब सिर्फ 18 विधायक हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने 92 सीटें जीती हैं। गोवा और मणिपुर की बात करें तो 5 साल पहले इन राज्यों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, और अब वोट शेयर में भारी गिरावट के साथ यह दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। गोवा फॉरवर्ड पार्टी जैसे दलों, जो कि कांग्रेस की सहयोगी थीं, को भी नुकसान हुआ। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के पास 5 साल पहले 3 सीटें थीं, जो कि अब घटकर एक रह गई है।

कांग्रेस की सरकारों का लागातार दूसरी बार चुने जाने में नाकाम होना एक ट्रेंड बनता जा रहा है। 2011 में असम को छोड़कर किसी भी बड़े राज्य में कांग्रेस की कोई भी सरकार दोबारा निर्वाचित नहीं हो सकी है।

पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला राहुल गांधी का था। उन्होंने ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को ऐन चुनाव से पहले हटाकर चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन चन्नी अपनी दोनों सीटों पर चुनाव हार गए। यही नहीं, राहुल गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी की कमान सौंपी थी,  लेकिन उन्हें भी करारी हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह उत्तराखंड में भी नाकामी मिली और यहां कांग्रेस तो हारी ही, साथ ही मुखमंत्री पद के दावेदार हरीश रावत भी अपनी सीट नहीं जीत सके।

कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि हम आत्म-मंथन करेंगे। लेकिन ये आत्म मंथन कब तक चलेगा? कांग्रेस को समझना होगा कि आम आदमी पार्टी उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस पार्टी ने पहले दिल्ली और अब पंजाब में कांग्रेस को साफ कर दिया है। गोवा में आम आदमी पार्टी को 7 फीसदी और उत्तराखंड मे 3.5 फीसदी वोट मिले हैं और दोनों ही राज्यों में केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया है। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल को प्रियंका की कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले, और अपना दल को कांग्रेस के मुकाबले 6 गुना ज्यादा सीटें मिलीं।

कांग्रेस को अब आत्म चिंतन नहीं, चिन्ता करनी चाहिए। कांग्रेस आज भी एक राष्ट्रीय पार्टी है, पूरे देश में उसकी एक पहचान है, लेकिन अगर वह इसी तरह हारती रही तो वापस खड़े होना मुश्किल हो जाएगा। मैं यादव और बादल परिवारों के बारे में भी लिखना चाहता था, लेकिन जगह की कमी है, इसलिए अभी इसे टाल रहा हूं।

राजनीति में ऐसे कई परिवार हैं जो राज्यों को, सरकारों को अपनी थाती या विरासत मानते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही ऐसी परिवारवादी राजनीति की मुखालफत करते रहे हैं। उन्होंने पहले बीजेपी में परिवारवाद को पनपने से रोका, फिर चुनाव में इसे मुद्दा बनाया। 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे साफ तौर पर दिखाते हैं कि भारत में अब परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति का अंत होने वाला है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 मार्च, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement