Monday, April 29, 2024
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ को 21 रिटायर्ड जजों ने लिखा पत्र, कहा- जनता के विश्वास को कम करने की हो रही कोशिश

देश के 21 रिटायर्ड जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। इस पत्र में 21 पूर्व जजों ने लिखा कि देश में न्यायपालिका के प्रति लोगों के विश्वास को कम करने की कोशिश की जा रही है।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: April 15, 2024 11:38 IST
retired 21 judges wrote a letter to Chief Justice DY Chandrachud said Efforts are being made to redu- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO CJI डीवाई चंद्रचूड़ को 21 रिटायर्ड जजों ने लिखा पत्र

21 रिटयर्ड जजों ने भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। इस पत्र में रिटायर्ड जजों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि कुछ लोगों की तरफ से न्यायवालिका को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। चिट्ठी में रिटायर्ड जजों ने लिखा कि कुछ गुट दबाव बनाकर, गलत सूचना फैलाकर और सार्वजनिक अपमान के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे लेकर हम साझा तौर पर अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। उन्होंने लिखा कि हमारे संज्ञान में आया है कि संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ को ध्यान में रखते हुए कुछ तत्वों द्वारा इस तरह की हरकत की जा रही है। वे हमारे न्यायप्रणाली के प्रति जनता के विश्वास को कम करने की कोशिश में हैं। 

चीफ जस्टिस को रिटायर्ड जजों ने लिखा पत्र

बता दें कि जिन जजों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है, उनमें सुप्रीम कोर्ट के 4 रिटायर जज, दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश महेश्वरी और एमआर शाह शामिल हैं। वहीं 17 पूर्व जस्टिस हैं जो अलग-अलग हाईकोर्ट में कार्यरत रह चुके हैं। इन लोगों में एसएम सोनी, अंबादास जोशी, प्रमोद कोहली, एसएन धींगरा, आरके गौबा, ज्ञानप्रकाश मित्तल, रघुवेंद्र सिंह राठौड़, अजीत भरिहोके, रमेश कुमार मेरठिया, राकेश सक्सेना, करमचंद पुरी और नरेंद्र कुमार शामिल हैं। वहीं हाईकोर्ट के अन्य पूर्व जजों में एसएन श्रीवास्तव, राजेश कुमार, पीएन रवीन्द्रन, लोकपाल सिंह और राजीव लोचन का नाम शामिल है। इन जजों ने ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर अपनी बात रखी है।

क्या बोले रिटायर्ड जज

पत्र में 21 जजों ने आगे लिखा कि गलत सूचनाओं और रणनीति और न्यायपालिका के खिलाफ जनता की भावनाओं को भड़काने को लेकर चिंतित है। यह अनैतिक हैं और हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए हानिकारक भी है। जजों की तरफ से लिखी गई चिट्ठी के कहा गया कि कोर्ट द्वारा जो फैसले लिए जाते हैं, अगर वो किसी के विचारों से मेल खाते हैं तो उसकी जमकर तारीफ की जाती है। लेकिन जो फैसले लोगों के विचारों से मेल नहीं खाती है, उनकी आलोचना की जाती है। यह न्यायिक समीक्षा और कानून के शासन को देश में कमजोर करता है।

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