Wednesday, April 24, 2024
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जब सब केंद्र के इशारे पर हो रहा, तो दिल्ली सरकार का क्या मतलब? सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर कार्यकारी नियंत्रण केंद्र के पास है तो दिल्ली सरकार के पास विधायी शक्तियां होने का क्या मतलब है?

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: January 13, 2023 7:05 IST
सुप्रीम कोर्ट ने की तीखी टिप्पणियां- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट ने की तीखी टिप्पणियां

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि अगर राजधानी का प्रशासन और नौकरशाहों पर केंद्र का नियंत्रण है तो दिल्ली में निर्वाचित सरकार होने से क्या उद्देश्य पूरा होगा। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष कहा कि दिल्ली जैसा केंद्र शासित प्रदेश, संघ का विस्तार है, जिसे संघ द्वारा अपने अधिकारियों के माध्यम से प्रशासित किया जाता है।

"प्रशासनिक नियंत्रण केंद्र के पास निहित"

सुप्रीम कोर्ट सिविल सेवकों के तबादलों और पोस्टिंग पर प्रशासनिक नियंत्रण के संबंध में दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच मामले की सुनवाई कर रही है। जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मेहता से सवाल किया, "जब सब कुछ केंद्र के इशारे पर होता है, तब दिल्ली में निर्वाचित सरकार होने का क्या मतलब है? मेहता ने तर्क दिया कि हालांकि प्रशासक मंत्री के प्रति जवाबदेह हैं, अधिकारियों के संबंध में प्रशासनिक नियंत्रण केंद्र के पास निहित है।"

केंद्र ने दिल्ली को बताया 'मिनी भारत'
इस पर, पीठ ने आगे सवाल किया कि यदि कोई अधिकारी अपने कार्य को ठीक से नहीं कर रहा है, तो दिल्ली सरकार की उस अधिकारी का तबादला कराने में क्या भूमिका है। मेहता ने कहा, "हम प्रशासनिक नियंत्रण में हैं जैसे कौन पोस्ट करता है, कौन ट्रांसफर करता है आदि।" यह देखते हुए कि केंद्र के अनुसार, दिल्ली सरकार के पास शिक्षा, पर्यावरण आदि से संबंधित पदों पर तैनाती का कोई अधिकार नहीं है, तब शीर्ष अदालत ने मेहता से पूछा : "क्या फायदा है?" केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली के लिए ऐतिहासिक फ्रेमवर्क लाया गया था और यह 'मिनी भारत' है।

सुप्रीम कोर्ट ने किए बड़े सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर कार्यकारी नियंत्रण केंद्र के पास है तो दिल्ली सरकार के पास विधायी शक्तियां होने का क्या मतलब है? और, अगर कोई अधिकारी अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं कर रहा है, तो उसे स्थानांतरित करने और किसी और को लाने में दिल्ली सरकार की कोई भूमिका नहीं है? कोर्ट ने आगे पूछा कि क्या दिल्ली विधानसभा के पास राज्य और समवर्ती सूची में सभी वस्तुओं के संबंध में कानून बनाने की विधायी शक्ति है? मेहता ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते दिल्ली में संविधान के अनुच्छेद 308 के अनुसार अधिकारियों का अपना कैडर नहीं हो सकता है।

शीर्ष अदालत अब 17 जनवरी को इस मामले में दलीलें सुनना जारी रखेगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा था।

 

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