Thursday, April 25, 2024
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जानिए, क्या है वक्फ बोर्ड मामला जिसमें CBI ने वसीम रिजवी पर दर्ज की FIR

सीबीआई ने संपत्तियों की बिक्री, खरीद और हस्तांतरण में कथित विसंगतियों को लेकर उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिजवी और अन्य के खिलाफ 2 मामले दर्ज किए हैं। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 20, 2020 14:21 IST
जानिए, क्या है वक्फ बोर्ड मामला जिसमें सीबीआई ने वसीम रिजवी पर की FIR- India TV Hindi
Image Source : FILE जानिए, क्या है वक्फ बोर्ड मामला जिसमें सीबीआई ने वसीम रिजवी पर की FIR

नई दिल्ली: सीबीआई ने संपत्तियों की बिक्री, खरीद और हस्तांतरण में कथित विसंगतियों को लेकर उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख वसीम रिजवी और अन्य के खिलाफ 2 मामले दर्ज किए हैं। गुरुवार की शाम सीबीआई ने 27 मार्च, 2017 के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज मामलों और 2016 में प्रयागराज में दर्ज एक मामले के आधार पर ये कार्रवाई की है।

पहली प्राथमिकी तौसीफुल हसन की शिकायत पर दर्ज की गई थी जिन्होंने आरोप लगाया था कि वह कानपुर में एक भूखंड के 'मुतवल्ली' (कार्यवाहक) थे, इसके बाद भी रिजवी और उनके सहयोगियों विजय कृष्ण सोमानी, नरेश सोमानी, गुलाम रिजवी और वकार रजा ने उन्हें उनके हक से वंचित किया।

सीबीआई ने रिजवी और अन्य चारों पर एक लोक सेवक के साथ विश्वासघात करने और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया है।वहीं दूसरे मामले में शिकायतकर्ता सुधांक मिश्रा ने रिजवी पर इलाहाबाद के ओल्ड जीटी रोड पर इमामबाड़ा में अवैध रूप से दुकानें बनाने का आरोप लगाया था। इसके आधार पर रिजवी पर आपराधिक अतिक्रमण का मामला दर्ज किया गया। राज्य के गृह विभाग ने अक्टूबर 2019 में मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 2017 में राजय में योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के बाद भी वसीम रिजवी शिया वक्फ बोर्ड पर काबिज रहे, पर उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा होने के बाद वक्फ बोर्ड में वापसी नहीं हो सकी।

प्रयागराज का मामला

वसीम रिजवी पर पहला मामला वर्ष 2016 में प्रयागराज में अवैध निर्माण का है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए रिजवी पर इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड प्रयागराज में अवैध रूप से दुकानों का निर्माण कराने का है। इस मामले में जब शिकायत की गई तो क्षेत्रीय अवर अभियंता ने 7 मई 2016 को निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था। इसके बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया था। इमामबाड़ा गुलाम हैदर में चार मंजिला मार्केट खड़ी कर दी गई थी।  इसके खिलाफ वसीम रिजवी पर वक्फ कानूनों के उल्लंघन को लेकर 26 अगस्त 2016 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी लेकिन प्रशासन की ओर से वसीम रिजवी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

लखनऊ का मामला
वसीम रिजवी के खिलाफ दूसरी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को दर्ज की गई थी। उस समय प्रदेश योगी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी। ये मामला कानपुर देहात के सिकंदरा में शिया वक्फ बोर्ड में दर्ज जमीनों के रिकॉर्डों में घपलेबाजी और मुतवल्ली तौसिफुल को धमकी देने का था। रिजवी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपये लेकर कानपुर में वक्फ की संपत्ति का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने और पत्रावली से कागजात गायब करने का आरोप है। सीबीआई की लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने आईपीसी की धारा 409, 420 और 506 के तहत एफआइआर दर्ज की है। इसमें पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी, शिया वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदन रिजवी और वक्फ इंस्पेक्टर वाकर रजा के अलावा नरेश कृष्ण सोमानी और विजय कृष्ण सोमानी को नामजद किया गया है. इसके अलावा प्रयागराज में हुए वक्फ घोटाले के संबंध में दर्ज एफआईआर में अकेले वसीम रिजवी ही नामजद हैं. 

जानिए, क्या होता है वक्फ बोर्ड
वक्फ बोर्ड का गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था। यह एक कानूनी निकाय होता है  जिसका मकसद भारत में इस्लामिक इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल की देखरेख करना है। वक्फ में चल और अचल दोनों ही संपत्तियां शामिल होती हैं। इसमें कंपनियों के शेयर, अचल संपत्तियों के सामान, किताबें और पैसा भी शामिल होता है।

इनपुट-एजेंसी

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