Saturday, April 27, 2024
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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में आ सकता है फैसला, कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक टेस्ट को लेकर दायर की गई है याचिका

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज वाराणसी जिला अदालत फैसला सुना सकती है। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। बता दें कि इसी साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वे हुआ था। सर्वे में एक शिवलिंग जैसा स्ट्रक्चर पाया गया था जिसे लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने हैं।

Shailendra Tiwari Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: October 14, 2022 14:13 IST
Judgment may come today in Gyanvapi case- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Judgment may come today in Gyanvapi case

Highlights

  • कार्बन डेटिंग की मांग 4 महिलाओं ने की है।
  • वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत करेगी फैसला
  • मई में हुआ था मस्जिद का सर्वे

Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आज यानी शुक्रवार को कोर्ट फैसला सुनाएगा। बता दें कि सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने से मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक टेस्ट की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। पिछली सुनवाई यानी 11 अक्टूबर को कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक टेस्ट के मामले में बहस पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट यह तय करेगी कि कार्बन डेटिंग या साइंटिफिक तरीके से ज्ञानवापी परिसर की जांच करानी है या नहीं?

दोनों पक्षों का अपना- अपना दावा

दरअसल, हिंदू पक्ष परिसर में मिले शिवलिंग जैसे स्ट्रक्चर को शिवलिंग कह रहा है वहीं, दूसरा यानी मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष की मांग है कि शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए। ताकि उसकी उम्र का पता चले और मामला साफ हो जाए। बता दें कि कार्बन डेटिंग की मांग 4 महिलाओं ने की है। वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत इस मामले में सुनवाई कर रही है।

मई में हुआ था सर्वे 

इस साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था। सर्वे में मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक शिवलिंग जैसा स्ट्रक्चर मिला है, जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है, वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है। ऐसे में अब याचिकाकर्ताओं की मांग है 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग के साथ-साथ साइंटिफिक टेस्ट कराई जाए। साथ ही शिवलिंग को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए। 

कैसे की जाती है कार्बन डेटिंग

कार्बन एक विशेष प्रकार का समस्थानिक (आइसोटोप) होता है। इसका उपयोग ऐसे कार्बनिक पदार्थों की उम्र का पता लगाने में किया जाता है, जो भूतकाल में कभी जीवित यानी सजीव थे। क्योंकि सभी सजीवों में किसी ने किसी रूप में कार्बन मौजूद होता है। ऐसे कार्बनिक पदार्थों या जीवों की मौत के बाद उनके शरीर में मौजूद कार्बन 12 या कार्बन-14 के अनुपात अथवा अवशेष बदलना शुरू हो जाते हैं। कार्बन-14 रेडियोधर्मी पदार्थ है, जो धीरे-धीरे समय बीतने के साथ सजीव शरीर में कम होने लगता है। इसे कार्बन समस्थानिक आइसोटोप सी-14 कहा जाता है। इसके जरिये कार्बनिक पदार्थों वाले सजीवों की मृत्यु का समय बताया जा सकता है। इससे उसकी अनुमानित उम्र का पता चल जाता है। इसे कार्बन डेटिंग कहते हैं। इसके जरिये 40 हजार से 50 हजार वर्ष तक पुरानी आयु वाले जीवों का पता लगाया जा सकता है। क्योंकि इसके बाद कार्बन का भी पूर्ण क्षरण हो जाता है। मगर निर्जीवों में कार्बन नहीं होने से उनकी कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती। 

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