पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अघोषित युद्ध जैसे हालात है। जिस तरह से पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से निशाना बनाया, वो इस बात का साफ संकेत है कि पाकिस्तान के फौजी जनरल भारत के साथ युद्ध चाहते हैं। हमारी सशस्त्र सेनाएं इन सारे हमलों का मजबूती से जवाब दे रही है। इधर महबूबा मुफ्ती शांति का राग अलापने लगी हैं।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए कहा कि क्षेत्र में शांति का माहौल बनाने के लिए सैन्य कार्रवाई कोई समाधान नहीं हो सकती। मुफ्ती ने दोनों देशों के नेतृत्व से संयम बरतने और एक-दूसरे पर हमले तत्काल रोकने की अपील की।
महबूबा मुफ्ती ने कही ये बड़ी बात
महबूबा ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया को कहते हैं कि युद्ध मत करो। यूक्रेन युद्ध को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं, डायलॉग का है। प्रधानमंत्री मोदी ने तब कहा था कि पॉलिटिकल डायलॉग की जरूरत है।'' उन्होंने आगे कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी जी को फोन उठाकर शहबाज शरीफ (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) से बात करनी चाहिए।'' मुफ्ती ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों से अपील की कि वे फोन उठाएं और एक-दूसरे से बात करें तथा हमलों पर रोक लगाएं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और हम युद्ध के कगार पर हैं। सबसे पहले तो जम्मू-कश्मीर के लोग खत्म हो जाएंगे, फिर इस पूरे क्षेत्र और दुनिया को बचाया नहीं जा सकेगा। मैं नेतृत्व से अपील करती हूं कि चाहे वह पाकिस्तान में सैन्य नेतृत्व हो, हमारे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था हो, इन हमलों को रोकें। हम बहुत सह चुके हैं। आपने अपने लक्ष्य हासिल कर लिए हैं। ये हमले मानवता के खिलाफ हैं। मुझे उम्मीद है कि नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज सुनेगा। अब काफी खून बह चुका है, इसे रोका जाना चाहिए।’’
'सैन्य हस्तक्षेप से कुछ हासिल नहीं होगा'
मुफ्ती ने कहा, पुलवामा और पहलगाम दो ऐसी घटनाएं हैं, जिन्होंने दोनों देशों को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया है। यदि यह ऐसे ही चलता रहा तो पूरी दुनिया के लिए खतरा है। चाहे वह करगिल हो, पुलवामा हो, पहलगाम हो या पठानकोट, हमने देखा है कि जब भी कोई सैन्य कार्रवाई होती है, तो वह केवल लक्षणों का इलाज करती है, समस्या के मूल कारण का इलाज नहीं करती है।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हमारा देश दुनिया में एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है, पाकिस्तान में आंतरिक हालात ठीक नहीं है। इसलिए दोनों देशों को राजनीतिक हस्तक्षेप करने का प्रयास करना चाहिए। सैन्य हस्तक्षेप से कुछ हासिल नहीं होगा। स्थिति, विशेषकर दोनों पक्षों की सीमाओं पर, बहुत तनावपूर्ण है और तत्काल तनाव कम करने की आवश्यकता है। लोग अपने घर छोड़कर जा रहे हैं, कुछ लोगों की जान भी चली गई है, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। संयम बरतने की तत्काल आवश्यकता है। स्थिति को शांत किए जाने की जरूरत है। दोनों देशों के नेतृत्व को तनाव कम करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
'हिसाब बराबर कर लिया है तो फिर खून क्यों बहाया जा रहा'
आंखों में आंसू भरते हुए मुफ्ती ने कहा कि सीमा के दोनों तरफ के नागरिक मारे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह युद्ध उन्होंने शुरू नहीं किया, यह उनकी इच्छा से नहीं हो रहा है, लेकिन वे अभी इसकी बहुत बड़ी कीमत चुका रहे हैं। सीमा पार से गोलीबारी में मारे गए बच्चों का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि इसमें बच्चों और महिलाओं का क्या दोष है? उन्होंने कहा, ‘‘मैं दोनों देशों के नेतृत्व से आग्रह करती हूं कि अल्लाह के लिए हमले बंद कर दें। जम्मू-कश्मीर के लोग कब तक इसका दंश झेलते रहेंगे। ऐसा लगता है कि दोनों देशों ने हमलों के जरिए अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है। दोनों देशों ने अपना हिसाब बराबर कर लिया है। तो फिर बच्चों का खून क्यों बहाया जा रहा है।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)
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