Tuesday, May 14, 2024
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अस्पतालों से भी इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ा

दुनिया भर में कई अस्पताल सुपरबग्स, हाथ धोने के लिक्विड और सेनिटायजर्स आदि के प्रति सहनशील होते जा रहे हैं, जिससे संक्रमण में वृद्धि हो रही है। एक ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। 

IANS Edited by: IANS
Published on: August 05, 2018 15:28 IST
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हेल्थ डेस्क: दुनिया भर में कई अस्पताल सुपरबग्स, हाथ धोने के लिक्विड और सेनिटायजर्स आदि के प्रति सहनशील होते जा रहे हैं, जिससे संक्रमण में वृद्धि हो रही है। एक ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक हाथ धोने के लिक्विड और सेनिटायजर्स से एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया में वृद्धि हुई है जो आंत में होता है। इसे एंटरोकोकस फेशियम कहा जाता है और यह हेल्थकेयर सेटिंग्स में कैथेटर, वेंटिलेटर या सेंट्रल लाइंस के माध्यम से फैल सकता है।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "अस्पताल से प्राप्त संक्रमण (एचएआई) या नोसोकोमियल संक्रमण ऐसा संक्रमण है, जो आम तौर पर अस्पताल में घुसने के 48 घंटे बाद होता है। यह मूल स्थिति से संबंधित नहीं है और न तो यह प्रवेश के समय मौजूद होता है और न ही इनक्यूबेटिंग है।" 

उन्होंने कहा, "अस्पताल और गैर-अस्पताल दोनों सेटिंग्स को शामिल करने के लिए एचएआई को कभी-कभी स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमण (एचसीएआई) भी कहा जाता है। एचसीएआई अस्पताल या अन्य स्वास्थ्य देखभाल सुविधा में देखभाल की प्रक्रिया के दौरान होता है। वे किसी भी प्रकार की ऐसी सेटिंग में हो सकते हैं, जहां मरीज को अस्पताल से छुट्टी के बाद भी देखभाल की जरूरत होती है। सबसे आम नोजोकोमियल संक्रमण में शल्य चिकित्सा घाव संक्रमण, श्वसन संक्रमण, जेनिटोरिनरी संक्रमण और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण शामिल हैं।"

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "प्रत्येक रोगी को अस्पताल में रहने के दौरान संक्रमण होने के जोखिम के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करना भ्रष्टाचार के दावे के लिए एक आधार हो सकता है, क्योंकि यह रोगी की स्थिति से संबंधित नहीं है, जिसके लिए उसे अस्पताल लाया गया है। ट्रांसमिशन के जोखिम को कम करने के तरीके पर उन्हें शिक्षित करने से संक्रमण नियंत्रण में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। प्रत्येक रोगी और उसके रिश्तेदारों को यह जानने की जरूरत है कि प्रत्येक एडमीशन में नए संक्रमण का 10 प्रतिशत जोखिम हो सकता है।" 

डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, "हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखंे। शरीर से निकले तरल पदार्थों के जोखिम के अनुसार उचित रूप से व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का उपयोग करें। पुन: उपयोग करने योग्य उपकरणों को उचित तरह से साफ करने के बाद ही उपयोग करें। संभावित रूप से संक्रामक सामग्री को सुरक्षित रूप से संभालें और निपटाएं। कचरे और लिनन को सावधानी से हैंडल करें। सफाई के प्रबंधन सहित पर्यावरण नियंत्रण उपायों का ध्यान रखें। रोगी के कमरे में प्रवेश पर डिस्पोजेबल गाउन, दस्ताने और आंखों की सुरक्षा का ध्यान रखें।"

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