हेल्थ डेस्क: सिजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मनोविकार) से पीड़ित लोगों पर हुए एक नए शोध से पता चला है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों में प्रतिरक्षा कोशिकाएं अत्यधिक मात्रा में होती हैं। शोधकर्ताओं की इस खोज से नई चिकित्सा और पद्धति के दरवाजे खुलेंगे।
क्या है सिजोफ्रेनिया रोग
दुनिया भर में हजारों लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं, जो एक गंभीर मानसिक विकार है। यह विकार किसी व्यक्ति की सोच, अनुभव और स्पष्ट रूप से व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस स्थिति के एक भी कारण की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। (बेकिंग सोडा के साथ मिलाएं ये 1 चीज और पाएं पेट, जांघ की चर्बी सहित इस खतरनाक बीमारी से निजात)
रिसर्च में ये बात आई सामने
आस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी की प्राध्यापक, अध्ययन की नेतृत्वकर्ता शैनन वीकर्ट ने इस धारणा को चुनौती दी थी कि प्रतिरक्षा कोशिकाएं मनोविकार के दौरान मस्तिष्क से स्वतंत्र रहती हैं और उन्होंने प्रतिरक्षा कोशिकाओं की सिजोफ्रेनिया में एक नए कारण के रूप में पहचान की। (रहना है हमेशा खुश और हेल्दी तो कॉफी-डार्क चॉकलेट का इस तरह करें इस्तेमाल)
वर्तमान में सिजोफ्रेनिया पर शोध तीन मस्तिष्क कोशिकाओं, जिसमें न्यूरॉन्स, ग्लियल कोशिकाएं जो न्यूरॉन्स का समर्थन करती हैं और एंडोथेलियल कोशिकाएं जो रक्त धमनियां पर परत चढ़ाती हैं, की स्थिति पर केंद्रित है।
शैनन और उनकी टीम ने हालांकि नई आणविक तकनीक के इस्तेमाल और चौथी कोशिका मैक्रोफेज की उपस्थिति की पहचान की, जो सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क के ऊतकों में प्रतिरक्षा कोशिका है और यह सूजन के उच्च स्तर प्रदर्शित करती है।
शैनन ने कहा, "यह निष्कर्ष चिकित्सा के नए रास्ते खोलता है, क्योंकि यह बताता है कि सिजोफ्रेनिया का कारण प्रतिरक्षा कोशिकाओं के भीतर हो सकता है और प्रतिरक्षा कोशिकाएं सिजोफ्रेनिया के लक्षणों में योगदान दे सकती हैं।"
यह शोध 'मॉलीकुलर साइक्रियाट्री' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इनपुट आईएएनएस)