Monday, April 29, 2024
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अपरा एकादशी: ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, साथ ही जानें पूरी व्रत कथा

शास्त्रों के अनुसार जो इंसान विधि-विधान से एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है उसे वर्षों तक तपस्या करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस व्रत को जरुर करना चाहिए। इस व्रत से कई पीढियों द्वारा किए गए पाप भी दूर हो जाते है। जानिए व्रत कथा और पूर्ण पूजा विधि...

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: May 11, 2018 6:27 IST
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धर्म डेस्क: ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। यह ऐसी एकादशी है जिसका व्रत रखने से ऐसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से कई पापों की नाश होता है। जैसे कि ब्रह्म हत्या, भूत योगि आदि से छुटकारा मिल जाता है। अचला एकादशी का व्रत सुहागनों के लिए सौभाग्य और सुख लेकर आता है। इस बार अपरा एकादशी 11 मई, शुक्रवार के दिन है।

हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार जो इंसान विधि-विधान से एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है उसे वर्षों तक तपस्या करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस व्रत को जरुर करना चाहिए। इस व्रत से कई पीढियों द्वारा किए गए पाप भी दूर हो जाते है।

इस एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है। वह इस दिन प्रात: स्नान करके भगवान को स्मरण करते हुए विधि के साथ पूजा करें और उनकी आरती करनी चाहिए साथ ही उन्हें भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन या फिर दान देना चाहिए। यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है। इस व्रत को करने से समस्त कामों में आपको सफलता मिलती है। जानिए इसकी पूजा-विधि, और कथा के बारे में।

अपरा एकादशी एकादशी व्रत पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए अपने परिवार सहित पूजा घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्म शुद्धि करें। रक्षा सूत्र बांधे। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। शंख और घंटी का पूजन अवश्य करें, क्योंकि यह भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।

सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 2 जून, गुरुवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

व्रत के दिन व्रत के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ जहां तक हो सके व्रत के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में उसे नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे आपको हजारों सालों की तपस्या के बराबर फल मिलेगा।

अगली स्लाइड में पढ़ें अपरा एकादशी की कथा के बारें में

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