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अयोध्या में राम मंदिर के लिए चाहिए तांबे की पत्तियां, भक्तों से दान की अपील

अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए लगभग 10 हजार तांबे की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने लोगों से अपील की है कि वह दान करें।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : Aug 20, 2020 05:38 pm IST, Updated : Aug 20, 2020 05:40 pm IST
अयोध्या में राम मंदिर के लिए चाहिए तांबे की पत्तियां, भक्तों से दान की अपील- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/PTASHOKKIRADOO अयोध्या में राम मंदिर के लिए चाहिए तांबे की पत्तियां, भक्तों से दान की अपील

अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्णाण शुरू हो गया है। इसके साथ ही आम लोगों के लिए एक बड़ी घोषणा की गई है। इस घोषणा में कहा गया कि  इस भव्य मंदिर निर्णाण में अपना योगदान भी दे सकते हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी।  ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय  कि 10 हजार ताबें की पत्तियां दान करने की लोगों से हमने अपील की है। 

श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है। CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कंपनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है। मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।

मन्दिर निर्माण में लगेगी 10 हजार तांबे की पत्तियां और रॉड

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट  करके बताया कि  मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 mm गहरी और 30 mm चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें।

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तांबे की पत्तियों में लिखा सकते हैं  दानकर्ता अपना नाम 

आप चाहे तो इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।

प्राचीन पद्धति के तौर पर किया जाएगा मंदिर का निर्माण

श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नही किया जाएगा।

इस कारण किया जा रहा है तांबे का इस्तेमाल

प्राचीन काल में भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल तांबे और कांसे का किया जाता था। क्योंकि निर्माण के दौरान यह पानी से बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं करता है। इसके साथ ही यह धीरे-धीरे ऑक्साइड बनाता है। वहीं दूसरे और अगर लोहे की बात करें तो पानी के संपर्क में आते ही जंग लग जाती है। वहीं तांबा  लोहा के उलट ऑक्साइड धातु के ऊपर बनाता है जिसके कारण ऑक्सीकरण भी रूक जाता है। जिससे इससे बनाई गई इमारत हजारों साल ऐसे ही खड़ी रहती हैं। 

मंदिर निर्माण में ऐसे करें आर्थिक योगादान

अगर आप चाहते हैं कि मंदिर निर्णाण में आप भी आर्थिक योगदान दें तो इसके लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नाम से एक बैंक अकाउंट पर ट्रांसफर कर सकते हैं।  यह अकाउंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में है।

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