Friday, May 03, 2024
Advertisement

इस बसंत ऋतु में केसर, चंदन के अभिषेक से महकेगी बाहुबली की प्रतिमा

फरवरी की चमकती सी सर्द-गर्म सुबह, चंद्रगिरि पर्वत पर भगवान बाहुबली की 57 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा के पीछे अभिषेक के लिए बनी विशेष विशाल मचान।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: February 04, 2018 16:33 IST

जैन धर्म के पहले र्तीथकर ऋषभदेव के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली। अपने भाई भरत को पराजित कर राजसत्ता का उपभोग बाहुबली कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और सारा राजपाट छोड़कर वे तपस्या करने लगे। 

तपस्या इतनी घोर थी कि उन के शरीर पर बेल पत्तियां उग आईं, सांपों ने वहां बिल बना लिए, लेकिन उनकी तपस्या जारी रही। कठोर तपस्या के बाद वे मोक्षगामी बने। 

जैन धर्म में भगवान बाहुबली को पहला मोक्षगामी माना जाता है। उनके द्वारा दिया गया ज्ञान हर काल के लिए उपयोगी है। जैन धर्म के अनुसार, भगवान बाहुबली ने मानव के आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति के लिए चार सूत्र बताए थे- अहिंसा से सुख, त्याग से शांति, मैत्री से प्रगति और ध्यान से सिद्धि मिलती है।

श्रवणबेलगोला में बाहुबली की विशाल प्रतिमा के निर्माण और अभिषेक के बाद से हर 12 वर्ष पर यहां महामस्तकाभिषेक का आयोजन होता आ रहा है। महामस्तकाभिषेक में लगभग सभी काल के तत्कालीन राजाओं और महाराजाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपना सहयोग भी दिया। 

स्वतंत्रता के बाद से भी बड़े पैमाने पर यह आयोजन होता रहा है। जवाहरलाल नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने श्रवणबेलगोला का दौरा इंदिरा गांधी के साथ किया था। बाहुबली की 57 फीट की विशाल और ओजस्वी प्रतिमा को देखते हुए उन्होंने कहा था कि इसे देखने के लिए आपको मस्तक झुकाना नहीं पड़ता है, मस्तक खुद-ब-खुद झुक जाता है। श्रवणबेलगोला बेंगलुरू से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर है। मैसूर से यह 80 किलोमीटर की दूरी पर है। 

(शोभना जैन ऑनलाइन हिंदी समाचार एवं फीचर सेवा वीएनआई की मुख्य संपादक हैं)

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement