Monday, May 06, 2024
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इस दिन पूजा करने से होती है स्वर्ग की प्राप्ति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार 18 फरवरी को महाअशुभ भद्रा आ रही है। जिसके कारण जया एकादशी का शुभ पर्व भद्रा में ही मनाया जाएगा। भद्रा सुबह 9 बजकर 46 मिनट से शुरु होकर रात 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगी परंतु स्वर्गवासी भद्रा होने के कारण यह अशुभ नहीं होगी

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 16, 2016 21:32 IST
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धर्म डेस्क: माघ शुक्ल एकादशी जिसे जया दशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 18 फरवरी को हैं। जया एकादशी के बारें में पद्म पुराण में कहा गया है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से इस इंसान को भूत-पिशाच की योनी से मुक्ति मिलती है। वो गंधर्व बनता है। जिसक कारण स्वयं विष्णु उसके लिए स्वर्ग के दरवाजे खोल देते है।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार 18 फरवरी को  महाअशुभ भद्रा आ रही है। जिसके कारण जया एकादशी का शुभ पर्व भद्रा में ही मनाया जाएगा। भद्रा सुबह 9 बजकर 46 मिनट से शुरु होकर रात 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगी परंतु स्वर्गवासी भद्रा होने के कारण यह अत्यधिक अशुभ नहीं होगी।

साथ ही गुरुवार के दिन पडने के कारण जया एकादशी का पुण्य पर्व खास विशेष बन गया है। इस दिन शुभ प्रीति योग रहेगा। उसके साथ-साथ आनंददायी काना योग भी विद्यमान रहेगा जो सिद्धि का सूचक है।

जया एकादशी व्रत कथा

एक समय की बात है, इन्द्र की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था। परन्तु उसका मन अपनी प्रिया को याद कर रहा है। इस कारण से गाते समय उसकी लय बिगड गई। इस पर इन्द्र ने क्रोधित होकर उसे श्राप दे दिया, कि तू जिसकी याद में खोया है। वह राक्षसी हो जाए।

देव इन्द्र की बात सुनकर गंधर्व ने अपनी गलती के लिये इन्द्र से क्षमा मांगी, और देव से विनिती की कि वे अपना श्राप वापस ले लें। परन्तु देव इन्द्र पर उसकी प्रार्थना का कोई असर न हुआ। उन्होने उस गंधर्व को अपनी सभा से बाहर निकलवा दिया। गंधर्व सभा से लौटकर घर आया तो उसने देखा की उसकी पत्नी वास्तव में राक्षसी हो गई।

अपनी पत्नी को श्राप मुक्त करने के लिए, गंधर्व ने कई प्रयत्न किए। परंतु उसे सफलता नहीं मिली। अचानक एक दिन उसकी भेंट ऋषि नारद जी से हुई। नारद जी ने उसे श्राप से मुक्ति पाने के लिए माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत और भगवत किर्तन करने की सलाह दी। नारद जी के कहे अनुसार गंधर्व ने एकाद्शी का व्रत किया। व्रत के शुभ प्रभाव से उसकी पत्नी राक्षसी देह से छुट गई।

अगली स्लाइड में पढ़े पूजा-विधि के बारें में

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