Thursday, May 16, 2024
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दुनिया की दूसरी सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठ, जहां मां के गलें के दोनों तरफ से बहती है रक्तधारा

रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति के गले से दोनो ओर से हमेशा रक्तधारा बहती रहती है। जिसके कारण यह अधिक फेमस भी है।

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 23, 2016 17:29 IST
छिन्नमस्तिके मंदिर- India TV Hindi
छिन्नमस्तिके मंदिर

नई दिल्ली: माता दुर्गा के चारों ओर हजारों मंदिर है। जो कई अवतारों में विराजित है। हर मंदिर के पीछे एक रोचक कहानी है। इसी तरह झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर मां छिन्नमस्तिके का मंदिर है।

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रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति के गले से दोनो ओर से हमेशा रक्तधारा बहती रहती है। जिसके कारण यह अधिक फेमस भी है। इस मंदिर को असम के कामाख्या मंदिर के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है।

रजरप्पा का यह सिद्धपीठ के अलावा यहां पर अनेक मंदिर जैसे महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंग बली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर। दामोदर और भैरवी के संगम स्थल के पास ही मां छिन्नमस्तिके का मंदिर बना हुआ है।

दामोदर और भैरवी नदियों पर अलग-अलग दो गर्म जल कुंड हैं। माना जाता है कि इस कुंड में नहाने से चर्म रोग जैसे कई गंभीर बीमारियां सही हो जाती है।

ये है छिन्न मस्तिका की उत्पत्ति तकी कहानी

एक बार भगवती भवानी अपनी दो सहेलियों जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने गईं। स्नान करने के बाद भवानी के साथ-साथ दोनों सहलियों तेज भूख लगी। जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया।

सहेलियों ने भी भोजन मांगा। देवी ने उनसे कुछ प्रतीक्षा करने को कहा। लेकिन वह बार-बार भूख लगने की हट करने लगी। बाद में सहेलियों के विनम्र आग्रह करते हुआ कहा - मां तो अपने बच्चों को तुंरत भोजन प्रदान करती है।

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