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देव दीपावली आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मनाने का कारण

दीपावली के 15 दिन बाद देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्नान कर दीपदान करने का बहुत अधिक महत्व है। इस बार देव दीपावली 12 नवंबर को है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : November 12, 2019 8:17 IST
Dev Diwali 2019- India TV Hindi
Dev Diwali 2019

कार्तिक महीनें की पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। दीपावली के 15 दिन बाद देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्नान कर दीपदान करने का बहुत अधिक महत्व है। इस बार देव दीपावली 12 नवंबर को है। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा का भी व्रत रखा जाता है। यह पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं से श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन गंगा घाटों पर दीप जलाए जाते है।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते है। इस दिन पूजा-पाठ करने से लंबी उम्र मिलती है। इसके साथ ही सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। वहीं इस दिन को लेकर माना जाता है कि भगवान शंकर ने देवी-देवताओं के प्रर्थना करने पर त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया जाता है। जिसके बाद देवताओं ने दीपावली बनाई थी। उसी को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। इसके साथ ही इस माह में उपासना, स्नान, दान, यज्ञ आदि का भी अच्छा परिणाम मिलता है।

काशी में इस कारण मनाया जाता है देव दीपावली 

काशी में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। इसके मनाने के पीछे कारण है। इसके अनुसार भगवान शिव ने काशी के अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार को नष्ट कर दिया था। जिसके कारण यह मनाया जाता है। इस दिन काशी के घाटों पर दीप जलाकर भी इस त्योहार को काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूजन का भी विशेष महत्व रहता है।

माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से भी कामों में लाभ मिलता है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि के बारें में।

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शुभ मुहूर्त
देव दीपावली प्रदोष काल शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक। 
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 02 मिनट से 
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 12 नवंबर को शाम 7 बजकर 4 मिनट तक। 

ऐसे करें पूजा
किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं, चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं, व बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 'ऊं देवदेवाय नम'।

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