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Somvati Amavasya 2022: सोमवती अमावस्या के दिन बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानिए डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Somvati Amavasya 2022: आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

Written by: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated : May 26, 2022 6:36 IST
Somvati Amavasya 2022- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/MALLIKAASHARMA Somvati Amavasya 2022

Highlights

  • इस बार सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ रही है।
  • इस दिन वट सावित्री व्रत भी है।

Somvati Amavasya 2022:  हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ रही है। इस दिन किया गया व्रत पूजा -पाठ ,स्नान, दान इत्यादि का फल अक्षय होता है। लेकिन इस वर्ष यह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि कई वर्षों के इंतजार के बाद 30 मई को वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार की सोमवती अमावस्या काफी खास है क्योंकि इसे साल 2022 की अंतिम सोमवती अमावस्या माना जा रहा है। इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थसिद्धि और सुकर्मा योग भी बन रहा है। 

ऐसे में आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

सोमवती अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • सोमवती अमावस्या की तिथि - 30 मई 2022 दिन सोमवार
  • अमावस्या तिथि आरंभ - 29 मई 2022 दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से
  • अमावस्या तिथि समाप्त - 30 मई 2022 शाम 04 बजकर 59 मिनट तक

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि

  • सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। 
  • यदि आप गंगा स्नान करेंगे तो बेहतर होगा। 
  • अगर आप किसी कारणवश गंगा में स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। 
  • इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
  • साथ ही इस दिन दान -पुण्य भी करना चाहिए।
  • पितरों की शांति के लिए इस दिन आप तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद आपको मिलेगा।

सोमवती अमावस्या का महत्व

किसी भी माह की अमावस्या को पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और स्नान-दान का बहुत महत्व होता है।  इसके अलावा इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करना शुभफल देने वाला होता है। साथ ही भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने का भी विधान है। इसके साथ सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा अवश्य करें। 

डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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