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वाह रे सरकारी सिस्टम! नहीं मिली एंबुलेंस, प्लास्टिक की थैली में बच्ची का रखा शव, 90 KM दूर बस से घर लौटा पिता

सरकारी अस्पताल से एंबुलेंस की सेवा न दिए जाने पर लाचार पिता अपनी नवजात बच्ची का शव 20 रुपये में खरीदी गई प्लास्टिक में रखने को मजबूर हुआ। इस पूरे मामले में सरकारी विभाग के अधिकारियों का बयान भी सामने आया है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Jun 17, 2025 10:02 am IST, Updated : Jun 17, 2025 10:07 am IST
सांकेतिक तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सांकेतिक तस्वीर

महाराष्ट्र के पालघर जिले से सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल देने वाली घटना सामने आई है। एक बार फिर सरकारी सिस्टम एकदम लाचार दिखा है। जोगलवाड़ी गांव के रहने वाले एक आदिवासी मजदूर को अपनी मृत नवजात बेटी के शव को प्लास्टिक की थैली में लपेटकर राज्य परिवहन की बस से 90 किलोमीटर दूर अपने गांव ले जाना पड़ा। 

एंबुलेंस देने से अस्पताल ने किया इनकार

आदिवासी मजदूर का आरोप है कि नासिक सिविल अस्पताल ने शव ले जाने के लिए एंबुलेंस देने से इनकार कर दिया। कटकारी आदिवासी समुदाय से आने वाले सखरम कावर ने कहा, 'मैंने अपनी बच्ची को स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही और बेरुखी के कारण खो दिया।' 

दिहाड़ी मजदूर हैं पति-पत्नी

सखरम और उनकी पत्नी अविता (26) दिहाड़ी पर मजदूरी करके गुजर बसर करते हैं। हाल ही तक बदलापुर (ठाणे) में एक ईंट भट्ठे पर काम कर रहे थे। सखरम और उनकी पत्नी अविता सुरक्षित प्रसव के लिए अपने गांव लौटे थे। 

कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद मृत पैदा हुई बच्ची

11 जून को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर सरकारी एम्बुलेंस नहीं आई और अंततः कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद, 12 जून की रात नासिक में बच्ची मृत जन्मी। अगली सुबह अस्पताल ने शव सौंप दिया, लेकिन परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की। 

20 रूपये में खरीदी प्लास्टिक की थैली

सखरम ने कहा, 'मैंने 20 रुपये में थैली खरीदी, बच्ची को कपड़े में लपेटा और बस से गांव लौटा।' उन्होंने बताया कि 13 जून को जब वह पत्नी को घर लाने नासिक लौटे, तब भी एम्बुलेंस नहीं दी गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सखरम ने स्वयं एम्बुलेंस लेने से इनकार किया था और अस्पताल ने सभी जरूरी मदद दी। (भाषा के इनपुट के साथ)

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