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AIBEA ने की 2426 विलफुल डिफॉल्‍टर्स की लिस्‍ट जारी, बैंकों को लगाया 1.47 लाख करोड़ रुपए का चूना

एआईबीईए के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सार्वजनिक क्षेत्र के 17 बैंकों की सूची में इस मामले में पहले स्थान पर है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : July 20, 2020 11:46 IST
2,426 PSB borrowers willfully defaulted Rs 1.47 trillion, says AIBEA- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

2,426 PSB borrowers willfully defaulted Rs 1.47 trillion, says AIBEA

नई दिल्‍ली। ऑल इंडिया बैंक एम्‍प्‍लॉयज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण की 51वीं वर्षगांठ पर 2,426 ऐसे लोगों की एक लिस्‍ट जारी की है, जिन्होंने जानबूझ कर बैंक ऋण पर 1.47 लाख करोड़ रुपए से अधिक का डिफॉल्‍ट किया है। एआईबीईए के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सार्वजनिक क्षेत्र के 17 बैंकों की सूची में इस मामले में पहले स्थान पर है। इसके विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 685 है, जिनके ऊपर 43,887 करोड़ रुपए का बकाया है।

एसबीआई के बाद पंजाब नेशनल बैंक (325 डिफॉल्‍टर, 22370 करोड़ रुपए बकाया), बैंक ऑफ बड़ौदा (355 डिफॉल्टर, 14661 करोड़ रुपए बकाया), बैंक ऑफ इंडिया (184 डिफॉल्टर, 11250 करोड़ रुपए बकाया), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (69 डिफॉल्टर, 9663 करोड़ रुपए बकाया) और अन्य हैं। पंजाब एंड सिंध बैंक के यहां सिर्फ छह विलफुल डिफॉल्टर हैं, जिन्होंने 255 करोड़ रुपए का दिवालिया किया। एआईबीईए के अनुसार, शीर्ष 10 डिफॉल्‍टर्स ने 32,737 करोड़ रुपए का डिफॉल्ट किया है (बकाया और बट्टे खाते में)।

इस सूची को जारी करते हुए एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटाचलम ने एक बयान में कहा कि हमारे बैंकों के सामने एक मात्र बड़ी समस्या निजी कंपनियों और कॉरपोरेट्स द्वारा लिए कए ऋण का भारी मात्रा में बुरा ऋण बनना है। वेंकटाचलम ने कहा कि यदि उनपर कड़ी कार्रवाई कर पैसे को रिकवर किया जाए, तो हमारे बैंक राष्ट्रीय विकास में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। डिफॉल्‍टर्स को रियायत देने और जनता को उसकी जमा राशि पर ब्याज दर घटाने और सर्विस चार्ज बढ़ाने की परंपरा बंद होनी चाहिए।

विलफुल डिफॉल्‍टर्स की सूची में गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, किंगफिशर एयरलाइंस, रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड, स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड और अन्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 19 जुलाई, 1969 को तत्कालीन भारत सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था और उसके बाद से इन बैंकों ने एक नया रास्ता और सामाजिक दृष्टिकोण तैयार करना शुरू किया था।

वेंकटाचलम के अनुसार, बैंकों की शाखाएं 1969 में 8,200 से बढ़कर आज 1,56,349 हो गई हैं। प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग इस समय 40 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीयकरण से पहले यह शून्य थी। उन्होंने यह भी कहा कि जमा और एडवांसेस 1969 में क्रमश: 5,000 करोड़ रुपए और 3,500 करोड़ रुपए थे, जो अब बढ़कर 138.50 लाख करोड़ रुपए और 101.83 लाख करोड़ रुपए हो गए हैं।

बैंक यूनियनों ने पांच दिन के कार्य सप्ताह की मांग दोहराई

बैंक कर्मचारी यूनियनों ने पांच दिन के कामकाजी सप्ताह की अपनी मांग फिर उठाई है। उन्होंने कहा कि कार्य दिवसों की संख्या को कम करने से बैंकरों को मदद मिलेगी, जो कोरोना वायरस महामारी के बीच जनता के संपर्क में आने से उच्च जोखिम में हैं। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने जनवरी में पांच दिन के कामकाजी सप्ताह के लिए यूनियनों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, लेकिन कर्मचारियों के वेतन में 19 प्रतिशत बढ़ोतरी की पेशकश की थी।

इस समय बैंकों में हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार और प्रत्येक रविवार को अवकाश रहता है। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि बैंकरों को कोरोना वायरस का खतरा सता रहा है और ऐसे में सप्ताह में पांच दिन काम करना वक्त की मांग है। ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने कहा कि ऐसा करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम होगा।

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