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खतरे में 3.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात, यूरोपियन यूनियन कड़े करने जा रहा आयात नियम

यूरोपियन यूनियन चावल आयात के कुछ ऐसे नियम लागू करने जा रहा है जिससे भारत से यूरोपियन यूनियन को निर्यात होने वाले बासमती चावल पर रोक लग सकती है

Manoj Kumar Manoj Kumar @kumarman145
Updated on: July 12, 2017 11:36 IST
खतरे में 3.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात, यूरोपियन यूनियन कड़े करने जा रहा आयात नियम- India TV Paisa
खतरे में 3.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात, यूरोपियन यूनियन कड़े करने जा रहा आयात नियम

नई दिल्ली। भारतीय बासमती चावल का बड़ा खरीदार यूरोपियन यूनियन चावल आयात के कुछ ऐसे नियम लागू करने जा रहा है जिससे भारत से यूरोपियन यूनियन को निर्यात होने वाले बासमती चावल पर रोक लग सकती है। भारत के कुल बासमती निर्यात का करीब 10 फीसदी एक्सपोर्ट यूरोपियन यूनियन को होता है और पहली जनवरी 2018 से यूरोपियन यूनियन सिर्फ उस चावल को अपने क्षेत्र में आयात की अनुमति देगा जिसमें ट्राइसाक्लाजोल की मात्रा 0.01 पीएम हो। अभी तक यूरोपियन यूनियन 1 पीएम ट्राइसाइक्लाजोल वाले चावल के आयात की मंजूरी दे रहा है।

ट्राइसाइक्लाजोल एक ऐसा रसायन है जिसका इस्तेमाल धान की फसल को फफूंद रोग से बचाने के लिए होता है। अगर किसान फसल कटने से 40 दिन पहले तक इस रसायन का छिड़काव करता है तो इसका कुछ हिस्सा चावल में भी पहुंच जाता है। भारत में भी इस कैमिकल का इस्तेमाल होता है।

यूरोपियन यूनियन नहीं माना तो घटेगा बासमती एक्सपोर्ट

लेकिन यूरोपियन यूनियन जो नियम बना रहा है उसके तहत उसको एक तरह से ट्राइसाइक्लाजोल से पूरी तरह मुक्त चावल चाहिए जो मौजूदा परिस्थितियों में भारतीय चावल कंपनियों को उपलब्ध करा पाना मुश्किल है। यूरोपियन यूनियन भारतीय बासमती चावल का बड़ा खरीदार है, ऐसे में भारतीय चावल अगर यूरोपियन यूनियन के मानकों पर सही नहीं उतरेगा तो भारत से यूरोपियन यूनियन को बासमती चावल निर्यात रुक सकता है।

यूरोपियन यूनियन को मनाने की हो रही कोशिश

भारत सरकार हालांकि यूरोपियन यूनियन को इस मुद्दे पर मनाने का प्रयास कर रही है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक भारत ने यह मुद्दा जी-20 की बैठक में भी उठाया है और जर्मनी की मदद भी मांगी है, इसके अलावा भारत सरकार इस मुद्दे को यूरोपियन यूनियन के साथ हर जगह उठा रही है लेकिन यूनियन के कई देश इसपर ढील देते नजर नहीं आ रहे हैं।

10 साल में 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है EU को बासमती निर्यात

यूरोपियन यूनियन भारतीय बासमती चावल का बड़ा खरीदार बनकर उभरा है, पिछले 10 सालों में यूरोपियन यूनियन को भारत से बासमती चावल निर्यात में 100 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। 10 साल पहले यानि 2006-07 के दौरान यूरोपियन यूनियन ने भारत से करीब 1.5 लाख टन बासमती चावल का आयात किया था और 2016-17 में उसका आयात 3.57 लाख टन तक पहुंचा है। ऐसे में अगर यूरोपियन यूनियन के साथ मुद्दा नहीं सुलझता है तो बासमती निर्यात को बड़ा झटका लगेगा। भारत से निर्यात होने वाले कुल बासमती चावल का करीब 9 फीसदी निर्यात यूरोपियन यूनियन को होता है।

बासमती इंडस्ट्री ने लगाई मदद की गुहार

यूरोपियन यूनियन के इन नियमों से देश का बासमती चावल उद्योग परेशान दिख रहा है। सबसे बड़ा बासमती चावल उत्पादक राज्य पंजाब की बासमती राइस एसोसिएशन ने ट्राइसाइक्लाजोल के मुद्दे पर किसानों को जागरूक करने की मांग की है साथ में यूरोपियन यूनियन पर दबाव बढ़ाने के लिए भी कहा है। एसोसिएशन के सचिव आशीष कथूरिया के मुताबिक अगर ट्राइसाइक्लाजोल का छिड़काव धान रोपाई से लेकर 70 दिन तक किया जाए तो चावल में इसके अवशेष नहीं बचते हैं। लेकिन छिड़काव अगर कटाई से 40 दिन पहले किया जाए तो अवशेष रह जाते हैं, ऐसे में किसानों को जागरूक करने की जरूरत है कि कटाई से 40 दिन पहले इसका छिड़काव नहीं करें।

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