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हाल के दिनों में चीनी कंपनियों ने भारत में राजमार्ग परियोजनाओं में निवेश नहीं किया: गडकरी

केन्द्रीय मंत्री ने साथ ही कहा कि सरकार परिवहन के लिए एक संभावित ईंधन के तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर संभावनाएं तलाश रही है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : September 21, 2021 14:07 IST
चीन की कंपनियों का...- India TV Paisa
Photo:PTI

चीन की कंपनियों का हाईवे प्रोजेक्ट में निवेश नहीं

नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि चीनी कंपनियों ने हाल के दिनों में भारत में राजमार्ग परियोजनाओं में निवेश नहीं किया है। इससे पहले चीन के साथ सीमा गतिरोध के बीच, गडकरी ने जुलाई 2020 में कहा था कि भारत चीनी कंपनियों को राजमार्ग परियोजनाओं में भाग लेने की मंजूरी नहीं देगा। उन्होंने कहा था कि इसमें संयुक्त उपक्रमों के जरिए भागीदारी पर रोक भी शामिल होगी। पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी कंपनियों ने हाल के दिनों में भारत की राजमार्ग परियोजनाओं में निवेश किया है, गडकरी ने ये जवाब दिया। हालांकि उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से कुछ नहीं बताया। 

केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने हाल में दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि भारत को अपना निर्यात बढ़ाना होगा और आयात कम करना होगा। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर आयात शुल्क में कमी की अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला की मांग से जुड़े एक सवाल को लेकर गडकरी ने कहा, "टेस्ला को कोई कर रियायत देने का फैसला वित्त मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा।" उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार परिवहन के लिए एक संभावित ईंधन के तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर संभावनाएं तलाश रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, " 'भविष्य के भारत' के निर्माण के लिए हमें अपना निर्यात बढ़ाना होगा और आयात कम करना होगा।" 

इससे पहले नितिन गडकरी ने कहा था कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे परिचालन में आने के बाद केंद्र को हर महीने टोल से 1,000 से 1,500 करोड़ रुपये की आय होगी। इस बहुप्रतीक्षित एक्सप्रेसवे के 2023 में परिचालन में आने की उम्मीद है। गडकरी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को सोने की खान करार दिया। गडकरी ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए हाल में एक लंबी यात्रा पूरी की है। उन्होंने रविवार को यहां कहा कि अगले पांच साल में एनएचएआई की सालाना टोल आय बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी। अभी यह 40,000 करोड़ रुपये के स्तर पर है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अलावा चार राज्यों से होकर गुजरेगा। 

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