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छोटे समय में नुकसानदेह साबित होंगे नोटबंदी और जीएसटी, लंबे समय में मिलेगा फायदा

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने से छोटी अवधि में अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: December 14, 2016 13:30 IST
Standard & Poor’s: छोटे समय में नुकसानदेह साबित हो सकता है नोटबंदी और GST, लंबे समय में मिलेगा फायदा- India TV Paisa
Standard & Poor’s: छोटे समय में नुकसानदेह साबित हो सकता है नोटबंदी और GST, लंबे समय में मिलेगा फायदा

नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने से छोटी अवधि में अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। एजेंसी के मुताबिक सितंबर 2017 से जीएसटी के लागू होने से अल्पकाल में अर्थव्यवस्था के असंगठित, ग्रामीण और नकद आधारित खंडों पर उच्च हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, इन सुधारों से अल्पकालीन समस्याओं के बाद दीर्घकाल में लाभ हो सकता है।

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट विश्लेषक अभिषेक डांगरा ने इंडियाज डिमोनेटिआईजेशन एंड द जीएसटी: शार्ट टर्म पेन फॉर लांग टर्म गेन शीर्षक से लिखे अपने एक लेख में कहा, भारत सरकार के सुधारों का दीर्घकालीन संरचनात्मक लाभ होगा लेकिन इसमें अल्पकालीन क्रियान्वयन और समायोजन जोखिम है।

रेटिंग एजेंसी ने हाल ही में 2016-17 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक प्रतिशत अंक कम कर 6.9 प्रतिशत कर दिया। इसका कारण नोटबंदी से उत्पन्न होने वाली बाधा है।

शार्ट टर्म पेन फॉर लांग टर्म गेन

  • लेख में कहा गया है कि सरकार का उच्च राशि की मुद्रा पर प्रतिबंध के निर्णय से नकदी की काफी समस्या हुई है।
  • एस एंड पी ने कहा, नोटबंदी और जीएसटी दोनों से अर्थव्यवस्था के असंगठित, ग्रामीण और नकद आधारित खंडों पर उच्च हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
  • जीएसटी के सितंबर 2017 से लागू होने की संभावना है।
  • लेख के अनुसार कहा इन सुधारों से अल्पकालीन समस्याओं के बाद दीर्घकाल में लाभ हो सकता है।
  • क्रेडिट और जोखिम विश्लेषक कंपनी का मानना है कि नोटबंदी तथा जीएसटी से कर का दायर बढ़ेगा और संगठित अर्थव्यवस्था में अधिक भागीदारी होगी।
  • इससे दीर्घकाल में भारत के व्यापार माहौल तथा वित्तीय प्रणाली में लाभ होना चाहिए।

एस एंड पी ग्लोबल की अनुषंगी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का कहना है, हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2016-17 में निजी खपत कम होगी लेकिन 2017-18 में मांग बढ़ेगी और वृद्धि पटरी पर आएगी। भारत को जल्दी ही 8.0 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के रास्ते पर लौटना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि अगले एक-दो तिमाही में मांग बढ़ने से भारतीय बैंकों तथा कंपनियों पर प्रभाव कुछ समय के लिये ही रहेगा।

डिजिटल बैंकिंग से मिलेगा लाभ

  • एस एंड पी के एक और क्रेडिट विश्लेषक गीता चुग ने कहा, बैंक क्षेत्र के समक्ष अल्पकाल में नकारात्मक दबाव होगा क्योंकि रिण वृद्धि नरम रहेगी।
  • संपत्ति गुणवत्ता और आय पर दबाव रहेगा। लेकिन डिजिटल बैंकिंग और बैंक आधार बढ़ने से दीर्घकाल में लाभ होगा।

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