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सरकार ने चालू विपणन वर्ष में अब तक 85581 करोड़ रुपए का गेहूं, 1.64 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने चालू विपणन वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अब तक कुल 85,581 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 433.32 लाख टन गेहूं की खरीद की है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : July 23, 2021 21:54 IST
सरकार ने चालू विपणन वर्ष में अब तक 85581 करोड़ रुपए का गेहूं, 1.64 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा- India TV Paisa
Photo:PTI

सरकार ने चालू विपणन वर्ष में अब तक 85581 करोड़ रुपए का गेहूं, 1.64 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा

नयी दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने चालू विपणन वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अब तक कुल 85,581 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 433.32 लाख टन गेहूं की खरीद की है। एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘मौजूदा विपणन सत्र (रबी विपणन सत्र) 2021-22 की गेहूं की खरीद अधिकांश राज्यों में समाप्त हो गयी है और अब तक (22 जुलाई तक) 433.32 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।’’ बयान के अनुसार, यह खरीद का सर्वकालिक उच्चतम स्तर है और 2020-21 (अप्रैल-मार्च) के 389.92 लाख टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गई है। गेहूं की थोक खरीद अप्रैल-जून की अवधि के दौरान की जाती है। 

खाद्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘लगभग 49.14 लाख किसानों को 85,581.35 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’’ खरीद वाले राज्यों में चालू खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) 2020-21 (अक्टूबर से सितंबर) में धान की खरीद जारी है।केंद्र ने 22 जुलाई, 2021 तक रिकॉर्ड 869.76 लाख टन धान (इसमें 707.69 लाख टन की खरीफ फसल और 162.07 लाख टन की रबी फसल का धान शामिल है) खरीदा है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 759.24 लाख टन की खरीद की गई थी। 

मंत्रालय ने कहा, ‘‘एमएसपी मूल्य के साथ चल रहे खरीफ विपणन सत्र की सरकारी खरीद में करीब 128.37 लाख किसानों को 1,64,211.54 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।’’ धान की खरीद भी 2019-20 के खरीफ विपणन सत्र के 773.45 लाख टन के पिछले उच्चतम स्तर को पार कर गई है। पिछले साल नवंबर के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच गेहूं और धान की रिकॉर्ड खरीद हुई है। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसान संघ तीन कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

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